UN प्रमुख की चेतावनी: 25 साल बाद भी शांति वार्ताओं में महिलाओं की भागीदारी अधूरी, यौन हिंसा का खतरा बढ़ा
punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 03:24 PM (IST)

International Desk: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने मंगलवार को इस बात पर चिंता जताई कि महिलाएं अक्सर शांति वार्ताओं से अनुपस्थित रही हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति तब है जब शांति प्रयासों में महिलाओं की समान भागीदारी वाले संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक प्रस्ताव को जारी हुए 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी की प्रमुख ने भी चिंता व्यक्त की है कि महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि 67.6 करोड़ महिलाएं घातक संघर्षों के 50 किलोमीटर के दायरे में निवास कर रही हैं। यह संख्या 1990 के दशक के बाद से सबसे अधिक है।
संरा महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा, ‘‘पूरी दुनिया में हम सैन्य खर्च में परेशान करने वाले रुझान, अधिक सशस्त्र संघर्ष और महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ और भी अधिक चौंकाने वाली क्रूरता देख रहे हैं।'' गुतारेस ने बताया कि 31 अक्टूबर, 2000 को इस प्रस्ताव को अपनाने के बाद कुछ प्रगति अवश्य हुई है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के रूप में वर्दीधारी महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई है। इसके अलावा महिलाओं ने स्थानीय मध्यस्थता का नेतृत्व किया है, लैंगिक-आधारित हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय को आगे बढ़ाया है और महिला संगठन संघर्षों से उबरने तथा सुलह को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुए हैं। गुतारेस ने कहा, "लेकिन ये उपलब्धियां नाजुक हैं और यह बहुत चिंताजनक है कि वे विपरीत दिशा में जा रही हैं।"
गुतारेस ने स्पष्ट भाषा में कहा कि राष्ट्र अक्सर सुरक्षा परिषद जैसे कक्षों में "दृढ़ विश्वास और प्रतिबद्धता से भरे" इकट्ठा होते हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वे शांति वार्ताओं में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने और संघर्षों में महिलाओं तथा लड़कियों को बलात्कार एवं यौन दुर्व्यवहार से बचाने की प्रस्ताव की मांग को पूरा करने में पूरी तरह से विफल हो जाते हैं। गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे संघर्षों में फंसी महिलाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रतिबद्धता को नए वित्त प्रदान करके, शांति वार्ताओं में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करके, यौन हिंसा के लिए जवाबदेही तय करके और उनकी सुरक्षा तथा आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करके पूरा किया जाना चाहिए।