रहस्य, रोमांच और शक्तिशाली संदेश देती है फिल्म 'द सीक्रेट ऑफ देवकाली', पढ़ें रिव्यू
punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 12:55 PM (IST)

फिल्म: 'द सीक्रेट ऑफ देवकाली' (the secret of devkali)
कलाकार: नीरज चौहान (Neeraj Chauhan), संजय मिश्रा (Sanjay Mishra), महेश मांजरेकर (Mahesh Manjrekar), भूमिका गुरुंग (Bhumika Gurung), अनुष्का चौहान (Anushka Chauhan), जरीना वहाब (Zarina Wahab), प्रशांत नारायणन (Prashant Narayanan), अमित लेखवानी (Amit Lekhwani), मनन भारद्वाज (Manan Bhardwaj)
निर्देशक: नीरज चौहान (Neeraj Chauhan)
रेटिंग: 3*
द सीक्रेट ऑफ देवकाली: प्रकृति से छेड़छाड़ मनुष्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है इसकी केवल झांकी कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान कुदरत ने दिखा दी है मगर इसके बावजूद इंसानों की आंख नहीं खुल रही हैं। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता नहीं आ रही है। सिनेमा के माध्यम से प्रकृति और पशु प्रेम की महत्ता का संदेश देने के लिये निर्देशक नीरज चौहान ऐसी ही फिल्म 'द सीक्रेट ऑफ देवकाली' लेकर आए हैं। आइए जानते हैं कैसी है फिल्म द सीक्रेट ऑफ देवकाली।
कहानी
देवकाली गांव की कहानी दो कबीलों के लोगो के बीच की है जहां एक कबीला अहिंसा का पुजारी है तो दूसरा कबीला बहुत हिंसक है। देवकाली गांव में ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई मासूम जीव को टॉर्चर करता है, माता खुद एक सुपर पॉवर के रूप मे प्रकट होती है और दुष्टों का नाश करती हैं। जब उस गांव में अत्याचार हद से बढ़ जाता है तो माधव (नीरज चौहान) के रूप में देवी जन्म लेती है ताकि दुष्टों को खत्म कर सकें। यह कहानी एक ऐसे अभिशाप के बारे में भी है जिसके कारण देवकाली गांव में दशकों से किसी लड़की की शादी नहीं हुई। फिल्म जबरदस्त रोमांच और थ्रिल है इसे जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
इस फिल्म में जहां तक अभिनय का सवाल है नीरज चौहान ने अपनी गजब की अदाकारी से प्रभावित किया है। फिल्म मे उनके एंट्री सीन को देखें या संजय मिश्रा के साथ उनके दृश्यों को, प्रशांत नारायणन के साथ टकराव का शॉट हो या फिर उनकी शारीरिक भाषा देखें वह हर पहलू में अपना असर छोड़ जाते हैं। संजय मिश्रा, महेश मांजरेकर, प्रशांत नारायणन और भूमिका गुरुंग ने शानदार अभिनय किया है। टीवी अदाकारा भूमिका गुरुंग की यह पहली फिल्म है मगर उन्होंने यादगार भूमिका निभाने मे सफलता हासिल की है। संजय मिश्रा तो संजय मिश्रा हैं, अपने किरदार को वह जिस नेचुरल ढंग से निभाते हैं उसकी मिसाल नहीं मिलती। एक सीन मे वह बांसुरी बजाते हुए सीखे हुए बांसुरी वादक लगते हैं।
निर्देशन
बतौर निर्देशक नीरज चौहान की कहानी पर गहरी पकड़ है। उन्होंने दर्शकों को 2 घंटे 13 मिनट तक बांधकर रखा है। निर्देशक की सोच और कल्पना को दाद देने का मन करता है। फिल्म में जबरदस्त रोमांचक मोड़ है। लेखिका नेहा सोनी के ओरिजिनल कॉन्सेप्ट और संवाद फिल्म का प्लस पॉइंट हैं। फिल्म मे जो सामाजिक संदेश दिया गया है वह दिल को छू लेता है। फिल्म सनातन धर्म के मूल्यों पर भी बात करती है।
म्यूजिक
फिल्म का बैकग्राउंड म्युजिक जानदार है जो हर सीन को उभार देता है। कहीं कहीं बिना किसी डायलॉग के बैकग्राउंड म्युजिक बड़ा प्रभाव छोड़ने मे कामयाब रहता है। फिल्म को एक अलग ही लाइटिंग मे फिल्माया गया है।