Chidiya Review: मेहरान अमरोही की ''चिड़िया'' संघर्ष और उम्मीद का खूबसूरत संगम, यहां पढ़ें रिव्यू
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 10:03 AM (IST)

फिल्म- चिड़िया (Chidiya)
स्टारकास्ट- स्वर कांबले (Svar Kamble), आयुष पाठक (Ayush Pathak), विनय पाठक (Vinay Pathak),अमृता सुभाष (Amruta Subhash),इनामुलहक़ (Inaamulhaq),बृजेंद्र काला (Brijendra Kala), हेतल गाड़ा (Hetal Gada)
निर्देशक-मेहरान अमरोही (Mehran Amrohi)
रेटिंग- 4*
चिड़िया: हिंदी सिनेमा में लंबे समय बाद चिड़िया जैसी फिल्म देखने को मिली है जो दिल को छू जाती है। यह वो फिल्म है जो अपने शांत बहाव, सादे मगर असरदार कथानक और जीवंत किरदारों के ज़रिए दिल में एक मीठी सी अनुभूति छोड़ जाती है। निर्देशक मेहरान अमरोही की यह डेब्यू फिल्म 10 साल की मेहनत का नतीजा है, और यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी यह मेहनत रंग लाई है।
कहानी
चिड़िया की कहानी मुंबई की एक चॉल में रहने वाले दो बच्चों शानू और बुआ के इर्द-गिर्द घूमती है। ये दोनों बच्चे अपने सीमित संसाधनों के बीच अपने बचपन को जीने की कोशिश करते हैं। लेकिन साथ ही, ये अपनी मां वैश्णवी की मदद करने के लिए वक़्त से पहले बड़े होने की जिम्मेदारी भी उठाते हैं। इस संघर्ष भरी यात्रा में उनके सबसे बड़ा सहारा बनते हैं बाली काका, जो एक मामूली जीवन जीते हुए भी इन बच्चों को खुशियों की उड़ान देना चाहते हैं। फिल्म में गरीबी है, संघर्ष है, लेकिन साथ ही है एक जज़्बा – हर हाल में मुस्कुराने और आगे बढ़ने का। कहानी में कोई विलन नहीं है, कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं है, सिर्फ जिंदगी है को सादे रूप से पेश किया गया है। इस फिल्म को देखने के बाद आपको जीवन के उन संघर्षो के बारे में पता चलेगा जिन्हें हम कहीं न कहीं नजरअंदाज कर जाते हैं।
अभिनय
अभिनय की बात करें तो शानू और बुआ का किरदार निभाने वाले स्वर कांबले और आयुष पाठक कमाल कर गए हैं। दोनों बच्चों ने इतनी सहजता और सच्चाई से अपने किरदारों को जिया है कि लगता ही नहीं कि वे अभिनय कर रहे हैं मानो सच में उनके साथ जी रहे हैं। विनय पाठक (बाली काका) और अमृता सुभाष (मां वैश्णवी) ने अपने रोल में जान डाल दी है। खासकर एक सीन में जब बाली काका बच्चों की मां को चिढ़ाते हैं, तो वो पल बहुत ही मानवीय और प्यारा लगता है। इनामुलहक का किरदार ताज एक दिव्यांग दर्ज़ी सबसे अलग और दिलचस्प है। उनकी शरारती बातें और हल्के-फुल्के मज़ाक फिल्म में एक अलग ही रंग भरते हैं। ब्रिजेन्द्र काला भी अपने चायवाले के किरदार में याद रह जाते हैं।
डायरेक्शन
निर्देशक मेहरान अमरोही ने चिड़िया के ज़रिए साबित कर दिया है कि सादगी में भी शक्ति होती है। बिना किसी बड़े सेट, भारी-भरकम संवाद या ज़बरदस्त बैकग्राउंड स्कोर के भी एक फिल्म दर्शकों के दिल को छू सकती है। उन्होंने एक साधारण कहानी को इतने शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है। यह फिल्म आज यानी 30 मई को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है।