Kapkapiii Review: भूत, दोस्त और ठहाकों के तड़के के साथ एक मस्तीभरा हॉरर का सफर, यहां पढ़ें रिव्यू

punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 11:20 AM (IST)

फिल्म: कंपकंपी (Kapkapiii)
डायरेक्टरः संगीथ सिवन (Sangeeth Sivan)
राइटरः कुमार प्रियदर्शी (Saurabh Anand) और सौरभ आनंद (Kumar Priyadarshi)
कास्टः तुषार कपूर (Tusshar Kapoor), श्रेयस तलपड़े (Shreyas Talpade), सिद्धि इदनानी (Siddhi Idnani), जय ठक्कर (Jay Thakkar), सोनिया राठी (Sonia Rathee) , अभिषेक कुमार (Abhishek Kumar), वरुण पांडे (Varun Pande), धीरेंद्र तिवारी (Dherendra Tiwari), मनमीत कौर (Manmeet Kaur)
रेटिंग - 3.5*

कंपकंपी: अगर आपको ‘गोलमाल’ जैसी मस्ती और ‘भूतिया हवेली’ जैसी सिहरन एक साथ चाहिए, तो ‘कंपकंपी’ आपके लिए एकदम परफेक्ट है। संगीथ सिवन की इस फिल्म में हॉरर केवल एक बहाना है, असली मज़ा है दोस्तों की मस्ती और उनकी खट्टी-मीठी ट्यूनिंग में। ये कहानी उस रात जैसी लगती है जो आपने कभी दोस्तों के साथ बिताई हो बस इस बार साथ में है एक मजेदार भूतनी और ऊइजा बोर्ड!


कहानी
कहानी छह दोस्तों की है, जिनके पास जॉब नहीं लेकिन मस्ती करने का हुनर भरपूर है। मनु (श्रेयस तलपड़े) खुद को लीडर समझता है, नान्कू हर वक्त दर्शन झाड़ता है, निरूप बीटेक के बावजूद बेरोज़गार है और रिविन अकेला ऐसा है जिसे तनख्वाह मिलती है। एक दिन ऊबकर ये दोस्त ऊइजा बोर्ड मंगवाते हैं – या यूं कहें कि जुगाड़ू मनु कैरम बोर्ड ले आता है! फिर एंट्री होती है भूतनी ‘अनामिका’ की। शुरुआत में सब हंसी-मज़ाक में लेते हैं, लेकिन जब ग्लास खुद चलने लगता है, तब डर की पहली झलक दिखती है। मज़ेदार बात ये है कि इस डर में भी ठहाकों की कमी नहीं – सिचुएशन्स भले डरावने हों, लेकिन हंसी ज़रूर आती है।


एक्टिंग

तुषार कपूर की एंट्री एक फ्रेश एनर्जी लेकर आती है। उनका सादा अंदाज़ और भूतिया माहौल पर उनके रिएक्शंस फिल्म को एक अलग ही स्वाद देते हैं। श्रेयस तलपड़े के साथ उनकी जोड़ी गोलमाल जैसी फील देती है – टाइमिंग, पंच और बॉन्डिंग सभी शानदार हैं। सिद्धि इदनानी और सोनिया राठी कोई शोपीस नहीं हैं – दोनों ने बढ़िया एक्टिंग की है। सिद्धि, जो ‘द केरल स्टोरी’ में एक गंभीर रोल कर चुकी हैं, यहां पूरी मस्ती में दिखाई देती हैं। दोनों एक्ट्रेसेज़ की कॉमिक टाइमिंग और स्क्रीन प्रेज़ेंस सराहनीय है।

डायरेक्शन और डायलॉग्स 
संगीथ सिवन का निर्देशन साफ तौर पर मनोरंजन पर फोकस करता है। फिल्म किसी बड़े सामाजिक संदेश का बोझ नहीं उठाती – ये बस उस मूड के लिए है जब आप कुछ हल्का-फुल्का देखना चाहते हैं। कुमार प्रियदर्शी और सौरभ आनंद द्वारा लिखे गए डायलॉग्स रियल और मज़ेदार हैं। ये पंच जबरदस्ती नहीं लगते – बल्कि हालातों और किरदारों से नैचुरली निकलते हैं, जो दर्शकों को हंसाने में सफल रहते हैं।

अगर आप एक हल्की-फुल्की, हसी और थोड़े-बहुत डर से भरी फिल्म की तलाश में हैं, तो कंपकंपी ज़रूर देखिए। दोस्तों के साथ देखें तो मज़ा डबल हो जाएगा और अगर अकेले देखेंगे, तो शायद भूतनी की मौजूदगी थोड़ा ज़्यादा महसूस होगी!


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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