फिल्मों से किताबों तक: असरार ख़ान की बहुआयामी यात्रा, रज़ा मुराद को बताया प्रेरणा स्रोत

punjabkesari.in Friday, Jul 11, 2025 - 07:18 PM (IST)

नई दिल्ली। फिल्म अभिनेता, अधिवक्ता और लेखक असरार ख़ान इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ लेखन के क्षेत्र में भी काफी चर्चाओं में हैं। अभिनय में उनके सशक्त योगदान को लेकर आज उन्हें एक बहुआयामी कलाकार के रूप में जाना जाता है। असरार ख़ान का मानना है कि अभिनय का असली ज्ञान उन्हें दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता रज़ा मुराद से मिला है। वह रज़ा मुराद को अपना गुरु और मार्गदर्शक मानते हैं। साल 2019 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘बागपत का दूल्हा’ में उन्हें दूसरी बार रज़ा मुराद के साथ स्क्रीन साझा करने का मौका मिला। उस फिल्म की शूटिंग गर्मियों के महीने में मेरठ में हो रही थी। असरार खान बताते हैं कि दोपहर के करीब दो बजे शूटिंग के दौरान उन्होंने एक गहरा और जादुई अनुभव महसूस किया, जिसने उन्हें अभिनय से आत्मिक रूप से जोड़ दिया। उसी पल उन्हें यह एहसास हुआ कि अभिनय केवल पेशा नहीं, बल्कि एक साधना है।

इसके बाद उन्होंने “ख़ुदा हाफ़िज़”, “ख़ुदा हाफ़िज़ – चैप्टर 2: अग्नि परीक्षा”, 'द सिग्नेचर', “तीसरी बेगम”, “पारो-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ स्लेवरी” जैसी फिल्मों में अपने सशक्त अभिनय का परिचय दिया। इन फिल्मों में उनकी भूमिकाओं को समीक्षकों और दर्शकों ने खूब सराहा। असरार ख़ान का कहना है कि वह हर किरदार में खुद को पूरी तरह समर्पित कर देते हैं और उस क़िरदार को जीते हैं। यही समर्पण उन्हें एक संजीदा कलाकार बनाता है। अब वह अपनी अगली बड़ी वेब सीरीज़ ‘सलाहकार’ को लेकर बेहद उत्साहित हैं, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ होने वाली है। यह सीरीज़ मशहूर लेखक-निर्देशक फ़ारूक कबीर द्वारा निर्देशित है, और इसमें असरार ख़ान एक गंभीर और रहस्यमयी किरदार में नजर आएंगे। दर्शकों को इस सीरीज़ का बेसब्री से इंतज़ार है, और असरार खान का मानना है कि यह प्रोजेक्ट उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

फिल्मों और वेब सीरीज़ के साथ-साथ असरार ख़ान लेखन में भी सक्रिय हैं। इस समय वह अपनी पुस्तक ‘शुरुआत शून्य से: आत्मचिंतन की यात्रा’ को अंतिम रूप दे रहे हैं। यह पुस्तक साल 2025 में ऑनलाइन पोर्टल्स पर पाठकों के लिए उपलब्ध होगी। यह किताब उनके जीवन के अनुभवों, संघर्षों और आत्मनिरीक्षण की गहराइयों को दर्शाती है। असरार खान का कहना है कि इस पुस्तक के माध्यम से वह युवाओं को प्रेरित करना चाहते हैं, जो अपने जीवन में कुछ अलग और सार्थक करना चाहते हैं।

उन्होंने इस पुस्तक में “शून्य” को एक नई सोच, नई शुरुआत और आत्मिक विकास का प्रतीक बताया है। उनका मानना है कि जब हम शून्यता को अपनाते हैं, तब हमारे भीतर नई ऊर्जा का संचार होता है। यही सोच उन्हें लिखने के लिए प्रेरित करती है।

असरार ख़ान ने  वॉशिंगटन डिजिटल यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका से कानून के क्षेत्र में ‘डॉक्टरेट  ऑफ लॉज़’ की मानद उपाधि भी अर्जित की है, जो उनके शैक्षिक योगदान को मान्यता देती है। वह अपनी सभी उपलब्धियों का श्रेय अपनी पत्नी मैनाज़ ख़ान और बेटी मायरा ख़ान को देते हैं, जो उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उनके अनुसार, परिवार का साथ और विश्वास ही उन्हें हर मोड़ पर आगे बढ़ने का हौसला देता है। असरार ख़ान की यह बहुआयामी यात्रा युवा पीढ़ी के लिए न केवल प्रेरणा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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