PIX: यहां कुछ इस प्रकार से हरते हैं भक्‍तों के पाप विघ्‍नहर्ता

punjabkesari.in Sunday, Sep 04, 2016 - 02:41 PM (IST)

आंध्र प्रदेश के चित्तूर में विघ्‍नहर्ता कनिपक्कम गणपति का मंदिर स्थापित है। जहां गणेश जी अपने भक्तों के प्रत्येक कष्टों को हर लेते हैं। गणेश जी का ये मंदिर नदी के मध्य स्थित है। यहां भक्त अपनी गलती को सुधारने के लिए शपथ लेते हैं।

 

मंदिर निर्मित से संबंधित कहानी

मंदिर के निर्माण से संबंधित कथा बहुत रोचक है। कहा जाता है कि एक गांव में तीन भाई रहते थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। उन तीनों ने अपने जीवन निर्वाह के लिए जमीन का एक टुकड़ा खरीदा अौर उस पर खेती करने का सोचा। खेती करने के लिए पानी की आवश्यकता थी तो तीनों ने कुआं खोदना आरंभ किया जाकि सुख चुका था। तीनों के उस कुंए को काफी खोदने के पश्चात पानी निकला। 

 

उस कुएं को अोर खोदने पर उन्हें एक पत्थर दिखाई दिया। जब उन्होंने उस पत्थर को हटाया तो वहां से खून की धारा निकलने से कुएं का पानी लाल हो गया अौर वे तीनों भाई भी ठीक हो गए। ये बात पूरे गांव में फैल गई। जब सारे गांव वाले वहां एकत्रित हुए तो उन्हें वहां स्वयं प्रकट हुई गणेशजी की प्रतिमा दिखाई दी। जिसे उन्होंने वहीं पानी के बीच स्थापित कर दिया। इसकी स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी। बाद में इस मंदिर का विस्तार 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया। 

 

प्रतिदिन बढ़ता है प्रतिमा का आकार

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में विराजित गणेश जी की प्रतिमा का आकार प्रतिदिन बढ़ रहा है। इस बात का प्रमाण उनका पेट अौर घुटना है, जिसका आकार बढ़ रहा है। कहा जाता है कि गणपति जी की भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने उन्हें एक कवच भेट किया था परंतु अब प्रतिमा का आकार बढ़ने के कारण वह कवच छोटा हो गया है।

 

नदी से संबंधित चमत्कार

विनायक मंदिर जिस नदी के मध्य है, उससे संबंधित भी अद्भुत कहानी जुड़ी है। कहा जाता है कि संखा और लिखिता नाम के दो भाई कनिपक्कम की यात्रा के लिए गए थे। लंबी यात्रा के कारण दोनों भाई थक गए। लिखिता को भूख लगने पर वह रास्ते में पड़ते आम के वृक्ष पर चढ़ गया। संखा ने उसे ऐसा करने से रोका परंतु वह नहीं माना। उसके पश्चात संखा ने इसकी शिकायत वहां की पंचायत से की। पंचायत ने सजा के तौर पर उसके दोनों हाथ कटवा दिए। कहा जाता है कि लिखिता ने कनिपक्कम के पास स्थित इसी नदी में अपने हाथ डाले थे जिसके पश्चात उसके हाथ फिर से जुड़ गए। तब से ही इस नदी का नाम बहुदा रख दिया गया। जिसका अर्थ होता है आम आदमी का हाथ। कनिपक्कम मंदिर को बाहुदा नदी के नाम से भी जाना जाता है।

 

पापों से मुक्ति हेतु खाई जाती है शपथ 

कहा जाता है कि कनिपक्कम गणेश जी के दर्शन करने से व्यक्ति के प्रत्येक पाप मिट जाते हैं। मंदिर में गणेश जी के दशन करने का भी एक नियम है जिसकी पालना करने पर ही पापों से मुक्ति मिलती है। नियमानुसार जो व्यक्ति अपने पापों की माफी मांगना चाहता है वह यहां स्थित नदी में स्नान करके शपथ लेता है कि वह इस प्रकार का पाप नहीं करेगा। शपथ लेने के पश्चात गणेश जी के दर्शन करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। 

 

कैसे पहुंचे

चित्तूर जिला रायलसीमा क्षेत्र आंध्रप्रदेश में स्थित है। ये जिला तिरूपति, कनिपक्कम मंदिर से प्रसिद्ध है। हवाई मार्ग से हैदराबाद पहुंचा जा सकता है अौर फिर वहां से सड़क मार्ग से होते हुए चित्तूर पहुंच सकते हैं।


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