क्यों स्त्री को कहा गया है वामांगी, जानिए यहां

punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 03:05 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शादी ब्याह हो या अन्य कोई धार्मिक कार्य, सनातन धर्म के अनुसार प्रत्येक धार्मिक आयोजन, हवन, यज्ञ आदि जैसे कार्यों में पत्नी को हमेशा पत्नी के बाएं तरफ बिठाया जाता है। इसलिए लगभग लोग जब जोड़े में किसी प्रकार की पूजा या अन्य धार्मिक कार्य करते हैं तो पत्नी को अपने बाएं भाग लेेते हैं। मगर आज भी ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें ये पता नहीं होगा कि आखिर क्यों हमेशा पत्नी को पति के बाएं और बैठना चाहिए? अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते तो चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़े तथ्य जिसमें बताया गया है कि क्यों पत्नी को पति की बाईं ओर बैठना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पत्नी को पति का वामांग माना जाता है, जिस कारण पत्नी को पति के बाएं ओर बैठना चाहिए। 

धार्मिक व पौराणिक अख्यानों के अनुसार ब्रह्माजी के दाएं स्कंध से पुरुष और वाम स्कंध स्त्री की उत्पत्ति हुई थी, जिस कारण स्त्री को वामांगी भी कहा जाता है। और इसी के चलते विवाब के बाद स्त्री को हमेशा पति का वाम भाग प्राप्त है। अर्थात प्रत्येक कार्य को संपन्न करते समय स्त्री पति के बाएं ओर सुशोभित होती है।

बता दें अन्य पौराणिक किंवदंतियों के मुताबिक जब पुरुष प्रधान धार्मिक कार्य संपन्न किए जाते हैं तो उस समय पत्नी को दक्षिण (दाएं) भाग की ओर बैठाया जाता है। इसके विपरीता स्त्री प्रधान धार्मिक संस्कारों में पत्नी पति के वाम अंग यानि बाएं और ही बैठती है। 

इसके अलावा संस्कार गणपति में वर्णन मिलता है कि सिंदूरदान, भोजन, शयन और सेवा में लगी पत्ती को हमेशा पति के वाम भाग की ओर ही रहना चाहिए। इसे पति-पत्नी का जीवन सुखमय होता है। तो वहीं किसी बड़े से आशीर्वाद लेते समय, ब्राह्माण के पैर पखारते समय भी समय पत्नी को पति के बाएं और रहना चाहिए, इससे पति-पत्नी दोनों को शुभ फल प्राप्त होता है।


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Content Writer

Jyoti

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