श्मशान से लौटते वक्त क्यों कहा जाता है पीछे मत देखना? जानें इस रहस्यमयी परंपरा के पीछे का असली सच
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 10:26 AM (IST)
Why we should not look back after funeral : हिंदू धर्म में जीवन के अंतिम पड़ाव यानी अंतिम संस्कार से जुड़ी कई ऐसी गूढ़ परंपराएं हैं, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। इन्हीं मान्यताओं में से एक सबसे चर्चित नियम है- श्मशान से लौटते समय पीछे मुड़कर न देखना। अक्सर आपने देखा होगा कि जब दाह संस्कार के बाद लोग अपने घरों की ओर प्रस्थान करते हैं, तो बड़े-बुजुर्ग सख्त हिदायत देते हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए, पलटकर चिता की ओर मत देखना। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस साधारण सी दिखने वाली रोक के पीछे का असली कारण क्या है। क्या यह महज एक पुराना अंधविश्वास है या इसके पीछे कोई गहरा आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक रहस्य छिपा है। मान्यताओं के अनुसार, यह छोटी सी सावधानी न केवल जीवित व्यक्तियों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाती है, बल्कि विदा हुई आत्मा की आगे की यात्रा को भी सुगम बनाती है। तो आइए जानते हैं इस रहस्यमयी परंपरा के पीछे का असली सच के बारे में-

मोह-माया के बंधन को तोड़ना
अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर न देखने का सबसे बड़ा कारण मोह माना जाता है। हिंदू दर्शन के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है, तो उसकी आत्मा को संसार से विदा होना होता है। यदि परिजन पीछे मुड़कर देखते हैं, तो यह उस आत्मा के प्रति उनके अत्यधिक मोह को दर्शाता है। मान्यता है कि परिजनों का यह मोह आत्मा को आगे बढ़ने में बाधा डाल सकता है और उसे वापस पृथ्वी लोक की ओर आकर्षित कर सकता है।
नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट को नकारात्मक ऊर्जाओं या 'रुदन' का स्थान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि श्मशान में कई ऐसी सूक्ष्म ऊर्जाएं सक्रिय होती हैं, जो कमजोर और दुखी मन वाले लोगों की ओर खिंची चली आती हैं। पीछे मुड़कर देखना उस व्यक्ति की मानसिक कमजोरी को दर्शाता है। इसलिए, पीछे न देखने का नियम व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचाने के लिए बनाया गया है।

मानसिक शांति और संकल्प
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो, श्मशान एक ऐसी जगह है जहाँ इंसान जीवन की नश्वरता को सबसे करीब से देखता है। पीछे मुड़कर न देखना इस बात का प्रतीक है कि जो चला गया वह अतीत बन चुका है और अब जीवित व्यक्ति को अपने जीवन की जिम्मेदारियों की ओर आगे बढ़ना है। श्मशान की जलती चिता की ओर बार-बार देखना शोक को बढ़ाता है। इसलिए, एक बार अंतिम विदाई देने के बाद सीधे घर की ओर चलना मन को इस कड़वे सच को स्वीकार करने में मदद करता है।
गरुड़ पुराण का संदर्भ
शास्त्रों, विशेषकर गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद जीवात्मा अपने प्रियजनों को विलाप करते हुए देखती है। जब परिजन श्मशान से लौटते समय पीछे नहीं देखते, तो यह एक संदेश होता है कि अब उनके और मृतक के बीच के सांसारिक संबंध समाप्त हो गए हैं। यह स्थिति आत्मा को शांति से अपनी अगली यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित करती है।
घर लौटने के बाद क्या करें?
श्मशान से आकर सीधे घर के अंदर प्रवेश नहीं करना चाहिए। पहले बाहर ही स्नान करना या शरीर पर गंगाजल छिड़कना जरूरी माना गया है ताकि नकारात्मकता घर में प्रवेश न करे। कई जगहों पर नीम के पत्ते चबाने या लोहे की वस्तु को छूने की परंपरा है, जो शुद्धिकरण का प्रतीक है।

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