अपने शत्रु की बेटी से रचाया था श्रीकृष्ण ने अपने बेटे का विवाह, जानें क्यों?

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2019 - 11:14 AM (IST)

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जैसे कुछ दिन पहले पूरा देश श्रावण के माह में भोलेनाथ की भक्ती में डूबा हुआ था ठीक वैसे ही अब लोग श्रीकृष्ण के नाम की भक्ति में डूबे हुए हैं। अब इसका कारण तो आपको पता ही होगा। जी हां आप सही सोच रहे हैं इस मस्ती का कारण इस मास यानि की भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़नी वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी है। बता दें कृष्ण जन्मोत्सव का यह पर्व 24 अगस्त यानि इस सप्ताह के आख़िरी दिन यानि शनिवार को पड़ रही है।
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अगर शास्त्रों की ओर दृष्टि डाली जाए तो इनमें ऐसी लीलाधर मुरली मनोहर नंदलाल से जुड़ी बहुत सी रोचक व दिलचस्प कथाएं मिल जाएंगी। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के इस खास मौके पर हम आपके लिए इनसे जुड़ी एक ऐसी ही कथा लेकर आए हैं जिसके बारे में गिनु-चुने लोग ही जानत होंगे तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं क्या है प्रसंग-
 

महाभारत के कुछ ऐसे पात्र हैं जिन्हें कोई नहीं भूल सकता उन्हीं में से एक है दुर्योधन का नाम। महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण और दुर्योधन विरोधी थे क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण कौरवों के नहीं बल्कि पांवों के साथ थे। जिसके परिणाम स्वरूप दुर्योधन व श्री कृष्ण एक दूसरे शत्रु हुए।

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जब भी अपने किसी दुश्मन की बात करते हैं तो हम उसके बारे में हमेशा बुरा बोलते व चाहते हैं। लेकिन यहां बात श्री कृष्ण की हो रही है जो अपने दुश्मनों का भी कभी बुरा नहीं मांगते थे बल्कि उन्हें वरदान दे देते थे।

ऐसा ही एक किस्सा है दुर्योधन से जुड़ा। पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्रीकृष्ण ने अपने बेटे की शादी दुर्योधन की बेटी से करवा दी थी। दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण को बिल्कुल पसंद नहीं करता था क्योंकि कृष्ण पांडवों के हितैषी थे। तो दूसरो ओर भगवान श्रीकृष्ण भी दुर्योधन को धर्म और शांति के मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध मानते थे।

तो अब सवाल ये पैदा होता है इसके बाद भी क्यों श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र की शादी दुर्योधन की पुत्री से करवाई। तो आइए जानें इसके पीछे का असल कारण-

भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र का नाम सांब था और दुर्योधन की पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। कथाओं के मुताबिक सांब और लक्ष्मणा एक-दूसरे से प्रेम करते थे। मगर लक्ष्मणा के पिता यानि दुर्योधन इन दोनों के प्रेम के खिलाफ़ थे और उन्होंने लक्ष्मणा के स्वयंवर का आयोजन किया। लेकिन इस स्वयंवर में उन्होंने यादवों को आमंत्रित नहीं किया। जब श्री कृष्ण के पुत्र सांब को स्वयंवर का पता चला तो वह भरी सभा में से लक्ष्मणा का अपहरण करके उसे ले गए।

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जिसके बाद दुर्योधन ने सेना के साथ सांब का पीछा किया और पकड़कर उन्हें बंदी बना दिया। तब श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम वहां पहुंचे और दुर्योधन को खूब समझाने की कोशिश की। मगर फिर भी दुर्योधन नहीं माने। जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण वहां पहुंचे और उन्होंने दुर्योधन और कौरवों को समझाते हुए कहा कि हमारी आपसी लड़ाई अलग है और बच्चों का प्रेम अलग है। अगर ये दोनों साथ रहना चाहते हैं तो हमें अपनी दुश्मनी को भुलाकर इनके प्रेम व फैसले का सम्मान करना चाहिए। कहा जाता ये सब बाते सुनकर दुर्योधन ने लक्ष्मणा का विवाह सांब से करवा दिया था।
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Jyoti

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