हिंदू शादी में सात फेरे अग्नि के सामने ही क्यों लिए जाते हैं ?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2019 - 09:02 AM (IST)

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यज्ञ की आग के चारों ओर घुमने को ही परिक्रमाएं/ फेरों के नाम से जाना जाता है। यूं तो शास्त्रों के अनुसार यज्ञाग्नि की चार परिक्रमाएं करने का विधान है लेकिन लोकाचार से सात परिक्रमाएं करने की प्रथा चल पड़ी है। ये सात फेरे विवाह संस्कार के धार्मिक आधार होते हैं। इन्हें अटूट विश्वास का प्रतीक माना जाता है। विवाह के अवसर पर यज्ञाग्नि की परिक्रमा करते हुए वर-वधू मन में यह धारणा करते हैं कि अग्निदेव के सामने सबकी उपस्थिति में हम सात परिक्रमा करते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम दोनों एक महान पवित्र धर्म बंधन में बंधते हैं। इस संकल्प को निभाने और चरितार्थ करने में हम कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।

PunjabKesari Why are seven rounds in a Hindu wedding taken in front of fire

अग्नि के सामने यह रस्म इसलिए पूरी की जाती है क्योंकि एक ओर अग्नि जीवन का आधार है, तो दूसरी ओर जीवन में गतिशीलता और कार्य की क्षमता तथा शरीर को पुष्ट करने की क्षमता सभी कुछ अग्नि के द्वारा ही आती है। आध्यात्मिक संदर्भों में अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का प्रतिनिधि और सूर्य जगत की आत्मा तथा विष्णु का रूप है।

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अत: अग्नि के सामने फेरे लेने का अर्थ है, परमात्मा के समक्ष फेरे लेना। अग्नि हमारे सभी पापों को जलाकर नष्ट भी कर देती है। अत: जीवन में पूरी पवित्रता के साथ एक अति महत्वपूर्ण कार्य का आरंभ अग्नि के सामने ही करना सब प्रकार से उचित है। वर-वधू परिक्रमा बाएं से दाएं की ओर चल कर प्रारंभ करते हैं। पहली चार परिक्रमाओं में वधू आगे रहती है और वर पीछे तथा शेष तीन परिक्रमाओं में वर आगे और वधू पीछे चलती है। हर परिक्रमा के दौरान पंडित द्वारा विवाह संबंधी मंत्रोच्चारण किया जाता है और परिक्रमा पूर्ण होने पर वर-वधू गायत्री मंत्रानुसार यज्ञ में हर बार एक-एक आहुति डालते हैं।

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Niyati Bhandari

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