पंचक में कौन से काम करना मना है ?

punjabkesari.in Wednesday, Jan 09, 2019 - 03:44 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में हर शुभ काम को करने से पहले ग्रह, नक्षत्र और खासकर के पंचकों का ध्यान भी रखा जाता है। उसके बाद ही कोई धार्मिक कार्य किया जाता है। ज्यादातर लोगों को ग्रहों और नक्षत्रों का तो पता ही होता है लेकिन पंचक के बारे में कोई कोई ही जानता है। ज्योतिष शास्त्रों में इसे अशुभ समय माना गया है। ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं कौन से कार्य नहीं करने चाहिए। पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
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इस समय दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है। इस समय दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है। ज्योतिष की मानें तो पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनवानी चाहिए, इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है। पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। अगर पंचक के दौरान किया की मौत हो जाए तो शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का संस्कार करने से उस परिवार में पांच ओर मृत्यु जरुर हो जाती है।
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लेकिन किसी कारणवश इस दौरान अगर कोई कार्य पूर्ण करना बहुत ज्यादा जरूरी हो तो कुछ ऐसे भी उपाय है, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपना जरूरी कार्य कर सकते हैं। आइए जाने क्या है वो उपाय- पंचक के दिनों में अगर घर की छत डलवाना जरूरी हो तो ऐसे समय में मजदूरों को मिठाई खिलाएं, उसके बाद छत डलवाने का कार्य करें। अगर घर में शादी का शुभ समय आ गया है और समय की कमी है तब लकड़ी का समान खरीदना जरूरी हो तो गायत्री हवन करवा कर लकड़ी का फर्नीचर की खरीदारी कर सकते हैं। पंचक में अगर ईंधन इकट्ठा करना जरूरी हो तो पंचमुखी दीपक (आटे से बना दीया, तेल से भरकर) शिव मंदिर में जलाएं, उसके बाद ईंधन खरीदें। पंचक के दौरान अगर किसी कारणवश दक्षिण दिशा की यात्रा करना ही पड़ें तो हनुमान मंदिर में 5 फल चढ़ाकर यात्रा करें।
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गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक का समय में हो जाती है, तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों के शव का पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।   
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