जब गांधी जी ने करवाया एक डॉक्टर को उसकी गलती का अहसास

punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2019 - 03:35 PM (IST)

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महात्मा गांधी के वर्धा स्थित सेवा ग्राम आश्रम में देश ही नहीं विदेशों से भी ऐसे युवा आते थे जिनके मन में देश सेवा की आकांक्षा होती थी। हालांकि सेवा का सही मतलब न समझने की वजह से कई बार ऐसे युवकों को बापू की झिड़कियां भी सुननी पड़ जाती थीं। ऐसी ही एक घटना तब हुई जब एक दिन पास के गांव से एक बूढ़ी गरीब महिला गांधी जी से खुजली की दवा लेने आई। गांधी जी ने आश्रम में आए एक फॉरेन रिटर्न युवा डॉक्टर को बुलाकर कहा, ''इस महिला को नीम की पत्तियां पीस कर खिलाओ और छाछ पिलाओ। उसे यह काम सौंप कर गांधी जी दूसरे काम में लग गए।
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डॉक्टर साहब ने उस मरीज से धैर्यपूर्वक बातचीत की और उसकी समस्या के बारे में तसल्ली से पूरी जानकारी लेने के बाद कहा, ''बापू ने बिल्कुल ठीक कहा है। नीम की पत्तियां पीस कर खाओ और छाछ पिओ। उससे जरूर फायदा होगा। फिर 2-3 दिन बाद वह उस महिला का हालचाल पूछने खुद उसके गांव गए। वहां महिला से मिले तो उसकी अवस्था में कोई सुधार नहीं दिखा। डॉक्टर साहब ने महिला से पूछा, ''तुमने कितनी छाछ पी है? उस गरीब औरत ने दुखी स्वर में बताया कि वह छाछ नहीं पी सकी।
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डॉक्टर महोदय ने आश्रम लौट कर जैसे ही गांधी जी को बताया कि उस महिला ने उनके कहे मुताबिक छाछ पी ही नहीं, इसलिए उसकी खुजली ज्यों की त्यों है, उनकी शामत आ गई। गुस्से और दुख से गांधी जी बोले, ''जब कहा था कि उस बूढ़ी महिला को छाछ पिलाना तो इसका मतलब था कि छाछ का इंतजाम करके उसे पिलाना, न कि उसे छाछ पीने का उपदेश देकर चले जाना। तुम यह नहीं देख पाए कि वह गरीब महिला खुद छाछ का इंतजाम नहीं कर सकती। क्या ऐसे ही गांव वालों की सेवा करोगे? डॉक्टर को अपनी भूल का अहसास हो चुका था।  


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