Sawan 2022: शिव को प्रिय है रुद्राक्ष, धारण करने से मिलते हैं ये लाभ

punjabkesari.in Wednesday, Jul 20, 2022 - 04:53 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रुद्राक्ष को शिव की आंख कहा जाता है। रुद्राक्ष दो शब्दों के मेल से बना है पहले ‘रुद्र’ का अर्थ होता है भगवान शिव और दूसरा अक्ष, इसका अर्थ होता है ‘आंसू’। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से प्रकट हुई वह मोती स्वरूप बूंदें हैं जिसे ग्रहण करके समस्त प्रकृति में अलौकिक शक्ति प्रवाहित हुई तथा मानव के हृदय में पहुंच कर उसे जाग्रत करने में सहायक हो सकी। रुद्राक्ष की भारतीय ज्योतिष में भी काफी उपयोगिता है। ग्रहों के दुष्प्रभाव को नष्ट करने में रुद्राक्ष का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है जो अपने आप में एक अचूक उपाय है। गंभीर रोगों में यदि जन्मपत्री के अनुसार रुद्राक्ष का उपयोग किया जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलते हैं। रुद्राक्ष की शक्ति व सामथ्र्य उसके धारीदार मुखों पर निर्भर होती है। 
PunjabKesari Sawan, Sawan 2022, Shiv ji, Lord Shiva, Shiv ji Rudraksh, Types of Rudraksha, How to Wear Rudraksha, Vastu, Vastu Shastra, Rudraksha benefits, Wearing Rudraksha In hindu Shastra, Dharm

माना जाता है कि अपनी प्रिया देवी सती के हवन कुंड में समाहित हो जाने के बाद उनके वियोग में जहां-जहां शिवजी के अश्रु भूमि पर गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उग आए। एक मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक का जन्म शिव के अश्रु से ही हुआ है। प्रत्येक रुद्राक्ष स्वयं में एक खास तरह की शक्ति समाहित किए होता है, सभी का अपना एक अलग महत्व है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान ही कहा जा सकता है। इन वृक्षों के फलों को रुद्राक्ष का नाम दिया गया। रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ भी यही है-रुद्र और अक्ष अर्थात रुद्राक्ष। रुद्राक्ष मानसिक तनाव से मुक्ति देता है। यह शरीर, मन और आत्मा के लाभ के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है। रुद्राक्ष मानव शरीर के अंदर के साथ-साथ शरीर के बाहर की वायु में भी जीवाणुओं का नाश करता है।  

चंद्रमा शिवजी के भाल पर सदा विराजमान रहता है। अत: चंद्र ग्रह जनित कोई भी कष्ट हो तो रुद्राक्ष धारण करने से पीड़ा दूर होती है। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की मानसिक उद्विग्नता, रोग एवं शांति के द्वारा पीड़ित चंद्र अर्थात साढ़ेसाती से मुक्ति में रुद्राक्ष अत्यंत उपयोगी है। शिव सर्पों को गले में माला बनाकर धारण करते हैं, अत: काल सर्प जनित कष्टों के निवारण में भी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी है। रुद्राक्ष सिद्धिदायक, पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक तथा मोक्ष प्रदान करने वाला है। एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक रुद्राक्ष विशेष रूप से पाए जाते हैं उनकी आलौकिक शक्ति और क्षमता अलग-अलग मुख रूप से दॢशत होती है। रुद्राक्ष धारण करने से जहां आपको ग्रहों से लाभ प्राप्त होगा वहीं आप शारीरिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे। रुद्राक्ष का स्पर्श, दर्शन, उस पर जप करने से, उसकी माला को धारण करने से समस्त पापों का और विघ्नों का नाश होता है। ऐसा महादेव का वरदान है परंतु धारण की उचित विधि और भावना शुद्ध होनी चाहिए।
PunjabKesari Sawan, Sawan 2022, Shiv ji, Lord Shiva, Shiv ji Rudraksh, Types of Rudraksha, How to Wear Rudraksha, Vastu, Vastu Shastra, Rudraksha benefits, Wearing Rudraksha In hindu Shastra, Dharm

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

PunjabKesari

रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष दाने पर उभरी हुई धारियों के आधार पर रुद्राक्ष के मुख निर्धारित किए जाते हैं। रुद्राक्ष के बीचों बीच एक सिरे से दूसरे सिरे तक एक रेखा होती है जिसे मुख कहा जाता है। रुद्राक्ष में ये रेखाएं या मुख एक से 14 मुखी तक होती हैं और कभी-कभी 15 से 21 मुखी तक के रुद्राक्ष भी देखे गए हैं। आधी या टूटी हुई रेखा को मुख नहीं माना जाता है। जितनी रेखाएं पूरी तरह स्पष्ट हों उतने ही मुख माने जाते हैं। पुराणों में प्रत्येक रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व और उपयोगिता का उल्लेख किया गया है।

एक मुखी : स्वास्थ्य, सफलता, मान-सम्मान, आत्म विश्वास, अध्यात्म, प्रसन्नता, अनायास धन प्राप्ति, रोग मुक्ति तथा व्यक्तित्व में निखार और शत्रुओं पर विजय प्राप्त।

दो मुखी : वैवाहिक सुख, मानसिक शांति, सौभाग्य वृद्धि, एकाग्रता, आध्यात्मिक उन्नति, पारिवारिक सौहार्द, व्यापार सफलता। स्त्रियों के लिए इसे सबसे उपयुक्त माना गया है।

तीन मुखी : शत्रु शमन, रक्त संबंधी विकार दूर।


चार मुखी : शिक्षा, ज्ञान, बुद्धि-विवेक, काम शक्ति वृद्धि।

पांच मुखी : शारीरिक, मानसिक प्रबलता व अध्यात्म। मानसिक शांति और प्रफुल्लता के लिए भी इसका उपयोग किया होता है।

छ: मुखी : प्रेम संबंध, आकर्षण, स्मरण शक्ति प्रबल, बुद्धि, तीव्र कार्यों में पूर्णता, व्यापार में आश्चर्यजनक सफलता।

सात मुखी : शनि दोष निवारण, धन सम्पत्ति, कीॢत और विजय प्राप्ति, कार्य, व्यापार आदि में बढ़ौतरी कराने वाला है।

आठ मुखी : राहू ग्रह से संबंधित दोषों की शांति, ज्ञानप्राप्ति, चित्त में एकाग्रता, मुकद्दमे में विजय दुर्घटनाओं तथा प्रबल शत्रुओं से रक्षा, व्यापार में सफलता और उन्नतिकारक है।
PunjabKesari Sawan, Sawan 2022, Shiv ji, Lord Shiva, Shiv ji Rudraksh, Types of Rudraksha, How to Wear Rudraksha, Vastu, Vastu Shastra, Rudraksha benefits, Wearing Rudraksha In hindu Shastra, Dharm

नौ मुखी : केतु ग्रह से संबंधित दोषों की शांति, सुख-शांति, व्यापार वृद्धि, धारक की अकालमृत्यु नहीं होती तथा आकस्मिक दुर्घटना का भी भय नहीं रहता।

10 मुखी : कार्य क्षेत्र में प्रगति, स्थिरता व वृद्धि, सम्मान, कीॢत, विभूति, धन प्राप्ति, लौकिक-पारलौकिक कामनाएं पूर्ण होती हैं।

11 मुखी : आॢथक लाभ व समृद्धिशाली जीवन, किसी विषय  का अभाव नहीं रहता तथा सभी संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं।

12 मुखी : विदेश यात्रा, नेतृत्व शक्ति प्राप्ति, शक्तिशाली, तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है।

13 मुखी : सर्वजन, आकर्षण व मनोकामना प्राप्ति, यश कीॢत, मान प्रतिष्ठा, कामदेव का प्रतीक, लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।

14 मुखी : आध्यात्मिक उन्नति, शक्ति, धन प्राप्ति, यश कीॢत, मान प्रतिष्ठा, कामदेव का प्रतीक, लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।

रुद्राक्ष कौन धारण करें
रुद्राक्ष को महादेव का अंश कहा जाता है। कहते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने वाला तथा उसकी आराधना करने वाला व्यक्ति समृद्धि, स्वास्थ्य तथा शांति को प्राप्त करने वाला होता है लेकिन अगर रुद्राक्ष को नियमों के साथ नहीं साधा जाए तो रुद्राक्ष नुक्सान भी कर सकता है।
रुद्राक्ष किसी भी ग्रह की क्षमता बढ़ाने के लिए धारण किया जा
सकता है।
यदि ग्रह मारक है या 6,812 भावों में बैठा है तो रत्न धारण करना घातक हो सकता है। ऐसे में रुद्राक्ष धारण करना श्रेष्ठ है।
किसी भी ग्रह की शांति के लिए रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
विशेष योगों में विभिन्न रुद्राक्ष मिलाकर अर्थात रुद्राक्ष कवच धारण करना उत्तम है।
विशेष समस्या के लिए उपयुक्त रुद्राक्ष धारण करें।
विशेष रोग के लिए भी विशेष रुद्राक्ष धारण किए जा सकते हैं।
PunjabKesari Sawan, Sawan 2022, Shiv ji, Lord Shiva, Shiv ji Rudraksh, Types of Rudraksha, How to Wear Rudraksha, Vastu, Vastu Shastra, Rudraksha benefits, Wearing Rudraksha In hindu Shastra, Dharm
रुद्राक्ष धारण नियम
रुद्राक्ष को सिद्ध करने के बाद ही धारण करना चाहिए। साथ ही इसे किसी पवित्र दिन में ही धारण करना चाहिए।
प्रात: काल रुद्राक्ष को धारण करते समय तथा रात में सोने से पहले रुद्राक्ष उतारने के बाद रुद्राक्ष मंत्र तथा रुद्राक्ष उत्पत्ति मंत्र का नौ बार जाप करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांसाहारी भोजन का त्याग कर देना चाहिए तथा शराब का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या और पूर्णमासी आदि पर्वों और पुण्य दिवसों पर रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
श्मशान स्थल तथा शवयात्रा के दौरान भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही जब किसी के घर में बच्चे का जन्म हो उस स्थल पर भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
यौन संबंधों के समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। स्त्रियों को मासिक धर्म के समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
रुद्राक्ष की प्रवृत्ति गर्म होती है। कुछ लोग इसको नहीं पहन सकते क्योंकि इसके पहनने से उनकी त्वचा पर एलर्जी के चिन्ह उभर आते हैं। उनके लिए रुद्राक्ष को मंदिर में ही रखा जा सकता है तथा नियमित रूप से आराधना की जा सकती हैं।
रुद्राक्ष को सूती धागे, सोने या फिर चांदी की चेन में पहन सकते हैं।
रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें तथा मुलायम ब्रश की सहायता से समय-समय पर रुद्राक्ष को साफ करते रहें। कभी-कभी रुद्राक्ष की तेल मालिश भी कर दें। कड़वे तेल जैसे सरसों या तिल का तेल इसके लिए प्रयोग किया जा सकता है।
सोते समय रुद्राक्ष धारण न करें क्योंकि इस दौरान रुद्राक्ष दबाव से टूट या चटक भी सकता है। रुद्राक्ष को तकिए के नीचे रखा जा सकता है। —ज्योतिषाचार्या रेखा कल्पदेव


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News