क्या सच में भाई-बहन थे देवी सीता और मंगल ?
punjabkesari.in Monday, Jun 10, 2019 - 06:08 PM (IST)

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बचपन में बच्चों को बहुत सी ऐसी बातें कहीं जाती हैं जो बड़े होने के बाद जब वो याद करते हैं तो उनकी हंसी छूट जाती है। अगर आपको याद हो तो आपको भी बचपन में ऐसा कुछ कहा जाता था। रूकिए रूकिए अब ये सोचने में अपना कीमती वक़्त ज़ाया न करें। क्योंकि हम आपको बताने जा रहे हैं कि हम किसी बारे में बात कर रहे हैं।
बचपन से हम चंद्रमा को मामा कहते आ रहे हैं लेकिन यकीनना आप ये नहीं जानते होंगे कि आख़िर चंद्रमा को मामा क्यों कहते हैं?
दरअसल, कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की उत्पत्ति समुद्र से हुई है। देवी लक्ष्मी को मां की उपाधि मिली है तो चंद्रमा को मामा कहा जाता है। मगर आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ चंद्रमा ही हमारे मामा हैं, मंगल को भी हमारे मामा कहा जाता। अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे हो सकता है तो चलिए इसके बार में विस्तार से जानते हैं-
माना जाता सीता और मंगल की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है। जिस तरह देवी सीता पृथ्वी पुत्री हैं, उसी प्रकार मंगल पृथ्वी पुत्र हैं। इस तरह दोनों भाई-बहन हैं। इसके अलावे हम लोग पृथ्वी को मां कहते हैं। ऐसे में मंगल हमारे मामा हुए।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी धार्मिक ग्रंथ में सीता जी के किसी भाई का उल्लेख नहीं है। वाल्मीकी रामायण हो या श्रीरामचरितमानस किसी भी ग्रंथ में देवी सीता के भाई का जिक्र नहीं है लेकिन कई ग्रंथों में सीता जी के भाई का परिचय है।
ये भाई हैं सीता जी के-
मंगल ग्रह, राजा जनक के पुत्र लक्ष्मीनिधि।
श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने 'जानकी मंगल' में मंगल और देवी सीता के बीच भाई-बहन के स्नेह के एक दुर्लभ दृश्य के संकेत दिए गए हैं। जानकी मंगल के अनुसार, देवी सीता की शादी के वक्त जब लावा परसाई रस्म का समय आया तो शादी करा रहे ऋृषिवर ने दुल्हन के भाई को बुलाया। जानकी मंगल में बताया गया है कि इस रस्म को मंगल द्वारा पूरा किया गया था। बताया जाता है कि मंगल यहां मां पृथ्वी के आदेश पर वेष बदलकर पहुंचे थे। गौरतलब है कि आज तक शादी में होने वाली लावा परसाई रस्म को दुल्हन का भाई ही पूरी करता है। अगर किसी को अपना भाई नहीं होता है तो दूर के भाई इस रस्म को पूरा करता है। इस तरह मंगल हमारे मामा हुए।