Vighnaraja Sankashti Chaturthi: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर बनेंगे शुभ योग, आपके सारे विघ्न हर लेंगे गणपति
punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 08:08 AM (IST)

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Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: 10 सितंबर 2025 बुधवार को आश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन किए गए व्रत, पूजा, मंत्र जाप अथवा उपाय करने से जीवन के सारे विघ्न हर लेते हैं गणपति। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत का समापन होता है। अत: इस रोज चन्द्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है।
Vighnaraj Sankashti Chaturthi auspicious time 2025 विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2025
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि वर्ष 2025 में 10 सितंबर, बुधवार की दोपहर 3:37 से आरंभ होगी। 11 सितंबर की दोपहर 12:45 पर विश्राम होगा। चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त रात्रि 8:06 पर होगा।
Vighnaraj Sankashti Chaturthi auspicious yoga विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी शुभ योग
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी बहुत खास है पहला तो यह गणपति को समर्पित वार बुधवार को पड़ रही है दूसरा इस दिन बहुत सारे शुभ योगों का निर्माण होने वाला है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस दिन वृद्धि योग, ध्रुव योग और शिव वास योग का संयोग बनेगा। इन योगों में गौरी नंदन की पूजा करने से हर काम में सफलता प्राप्त होती है। घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। व्यक्ति के सभी मनोरथ और इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
Vighnaraj Sankashti Chaturthi Panchang विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पंचांग
सूर्योदय: सुबह 06:04 बजे
सूर्यास्त: शाम 06:32 बजे
चंद्रोदय: रात 08:06 बजे
चंद्रास्त: सुबह 09:35 बजे
ब्रह्म मुहूर्त: 04:31 से 05:18 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:23 से 03:12 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:32 से 06:55 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात 11:55 से 12:41 बजे तक
Chant the 14 auspicious names of Gajanan on Vighnaraj Sankashti Chaturthi विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर करें गजानन के 14 शुभ नामों का जाप- शास्त्रों के अनुसार, जो व्यक्ति गणेश चतुर्थी या फिर बुधवार के दिन इनके 14 नामों का जाप करता है। उसे निश्चित रूप से ही अभीष्ट पुण्यों की प्राप्ति होती है। जो जातक धन संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं और अपार धन पाने की चाह रखते हैं, उन्हें इन नामों का जाप अवश्य करना चाहिए। गजानन के 14 शुभ नाम विनायक, गजानन, गणेश, लंबोदर, एकदंत, वक्रतुंड, विघ्नराज, भालचंद्र, गणाधिप, विकट, हेरंब, कृष्णपिंगाक्ष, आखुरघ और गौरीसुत।