विदुर जी का ये ज्ञान जो है अमृत समान!
punjabkesari.in Sunday, Sep 04, 2022 - 10:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाभारत का युद्ध एक ऐसा युद्ध था जो पूरे 18 दिन तक चला था। इस युद्ध में किसकी हार और किसकी जीत तय थी इस बात का राज केवल एक विद्वान ही जानते थे, जिनका नाम था महात्मा विदुर। तो आज हम आपको महाभारत के इसी महत्वपूर्ण पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं जो वक्त से पहले ही भविष्य में होने वाली घटनाओं को भांप लेते थे। बता दें विदुर जी भी धृतराष्ट्र और पांडु की तरह ऋषि वेदव्यास के पुत्र थे लेकिन उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था, जिस वजह से वे राजा नहीं बन पाए थे। परंतु चाहे वो राजा नहीं बन पाए लेकिन अपने ज्ञान तथा भविष्य देखने की क्षमता के बलबूते पर उन्होंने महाभारत समय में अपनी विशेष भूमिका निभाई थी। तो चलिए आज आपको बताते हैं इनके द्वारा रचित ग्रंथ की कुछ ऐसी नीतियां जो आज भी मानव जीवन के लिए उपयोगी मानी जाती हैं-
स्त्री होती है देवी समान- हमारे भारत देश में स्त्री को देवी का स्वरूप माना जाता है जो हमेशा सबका कल्याण ही करती है और किसी के बारे में भी बुरा नहीं सोचती। विद्वान विदुर जी के अनुसार वह स्त्री पूजनीय होती है जिस पर जवानी के दिनों में किसी भी तरह का कलंक न लगा हो और सदैव अच्छे कर्म किए हों।
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भोजन की निंदा है पाप समान- महात्मा विदुर जी का कहना है जो अन्न हम खाते हैं उसकी कभी भी निंदा नहीं करनी चाहिए। कहने का भाव है कि प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी प्रकार के खाने की निंदा नहीं करनी चाहिए फिर वो खाना चाहे स्वाद में ज्यादा अच्छा न हो या हमें पचें न। किसी भी हालात में अन्न के लिए कठोर व अपशब्द नहीं बोलने चाहिए। शास्त्रों में अन्न का अपमान माता अन्नपूर्णा का अपमान माना गया है।
कुशल योद्धा की परिभाषा- किसी भी युद्ध को जीतने के लिए एक कुशल योद्धा की आवश्यकता होती है क्योंकि एक कुशल योद्धा इस तरह रणनीति तैयार करता है जिससे उसके हारने की गुंजाइश कम हो जाती है। विदुर जी के अनुसार हमें ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा अवश्य करनी चाहिए जिसकी वजह से युद्ध में विजय पाई हो।
ज्ञानी व्यक्ति होता है प्रशंसा योग्य- कोई भी व्यक्ति ज्ञान पा लेने के बाद सम्मान पाने योग्य हो जाता है। विदुर जी के मुताबिक ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा अवश्य करनी चाहिए लेकिन ज्ञान पाकर कभी भी उसका घमंड नहीं करना चाहिए।