Inspirational Story: क्या वाकई अमृत हमारी जुबान में होता है, जानें गुरु की अद्भुत सीख
punjabkesari.in Monday, Jul 28, 2025 - 10:01 AM (IST)

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Inspirational Story: गुरु सुबुद्ध बहुत बड़े विद्वान थे। उनका एक शिष्य था, जिसका नाम था अबुद्ध। वह अपने गुरु के प्रति बड़ी श्रद्धा रखता था। गुरु की सेवा के जरिए वह अमृत हासिल करना चाहता था। उसे लगता था कि गुरु ही सेवा से खुश होकर उसे अमृत तक पहुंचा सकते हैं। अबुद्ध बार-बार गुरु से अमृत की चर्चा करता लेकिन गुरु हर बार उसकी बात को चतुराई से टाल देते। अपनी बात समझाने के लिए गुरु सुबुद्ध को उचित अवसर की तलाश थी।
अधीर होकर अबुद्ध एक दिन गुरु को छोड़ अकेला ही अमृत की खोज में निकल पड़ा। वह कई जगहों पर गया, अनेक साधु-संतों से मिला लेकिन उसेे अमृत कहीं नहीं मिला। एक दिन थक-हारकर वह निराश बैठा था कि अचानक ही उसे गुरु सुबुद्ध की याद आ गई। उसे लगा कि गुरु जी ही मेरी समस्या का हल निकाल सकते हैं। अब वह वापस चल दिया अपने गुरु सुबुद्ध से मिलने।
कई रोज की यात्रा के बाद वह गुरु के पास पहुंचा और बोला, “गुरु जी, आप तो कहते थे कि इस दुनिया में अमृत है लेकिन लाख खोजने के बाद भी अमर होने के लिए मुझे तो कहीं भी अमृत नहीं मिला।”
यह सुनकर गुरु सुबुद्ध मुस्कुराए और बोले, “शिष्य, तुमने धैर्य नहीं रखा इसलिए तुम्हें भटकना पड़ा। दुनिया में अमृत है और वह तुम्हारे मुख में ही है। यह अमृत तो तुम्हारी वाणी में ही है। मीठी वाणी को ही अमृत कहते हैं। कड़वी वाणी को विष कहते हैं। जिसकी वाणी मीठी होगी, वह पूजनीय और अमर हो जाएगा और जिसकी वाणी कड़वी होगी, वह तिरस्कृत होकर विस्मृत हो जाएगा।”
अबुद्ध गुरु के चरणों में गिर पड़ा और बोला, “गुरुवर, मुझे अमृत मिल गया।”