Vibhuvana Sankashti Chaturthi:  3 साल बाद आई है विभुवन संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य समय

punjabkesari.in Friday, Aug 04, 2023 - 06:53 AM (IST)

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Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: वैसे तो हर महीने में दो चतुर्थी तिथि पड़ती हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में लेकिन विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर तीन साल में एक बार ही आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह व्रत अधिक मास में पड़ता है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस साल विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 4 अगस्त यानी आज के दिन रखा जा रहा है। गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। विभुवन संकष्टी चतुर्थी के व्रत में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूरा होता है। आइए जानते हैं विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य का समय

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Vibhuvan Sankashti Chaturthi date विभुवन संकष्टी चतुर्थी तिथि
सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 4 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 05 अगस्त, शनिवार को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन गणेश जी के साथ चंद्रमा की पूजा का महत्व होता है और चंद्रोदय का समय 4 अगस्त को है। ऐसे में विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 4 अगस्त को ही रखा जाएगा।

Muhurat for Vibhuvana Sankashti Chaturthi Puja विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा का मुहूर्त
4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 से लेकर सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 52 मिनट तक है।

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Vibhuvan Sankashti Chaturthi Moonrise Timings विभुवन संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय समय
4 अगस्त को चंद्रमा का उदय रात 09 बजकर 20 मिनट पर होगा। इस दिन आप चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर सकते हैं।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र पहनकर भगवान श्री गणेश की पूजा करें। भगवान गणेश की  पूजा करते समय उत्तर या पूर्व की दिशा में मुंह रखें। गणेश जी की प्रतिमा या चित्र के आगे धूप-दीप प्रज्वलित करें। धूप-दीप प्रज्वलित करने के बाद ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें। पूजा के बाद गणेश जी को लड्डू या तिल से बनी मिठाई का भोग लगाएं। फिर शाम को व्रत कथा पढ़कर चांद देखकर अपना व्रत खोलें।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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