Varaha Jayanti: भूत-प्रेत के भय को दूर करने के लिए वराह जयंती का दिन है बेहद खास
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 06:36 AM (IST)
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Varaha Jayanti 2024: हिंदू धर्म में बहुत से अलग-अलग त्यौहार मनाए जाते हैं और इन्हीं में से एक है वराह जयंती। इस दिन भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह की पूजा की जाती है। इस वर्ष वराह जयंती 6 सितंबर को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही श्री हरि ने पृथ्वी को वापिस सतह पर लाने के लिए वराह रूप लेकर हिरण्याक्ष नामक दैत्य का अंत किया था। कहते हैं भगवान विष्णु के इस रूप की पूजा करने से भूत-प्रेत का भय समाप्त होता हैं। तो चलिए जानते हैं वराह जयंती की पूजा विधि और महत्व।
Varaha Jayanti puja method वराह जयंती की पूजा विधि
वराह जयंती के पावन अवसर पर भगवान वराह की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। अगर इनकी प्रतिमा नहीं है तो भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराने के बाद उन्हें भोग लगाएं।
इसके बाद हिरण्याक्ष वध की कथा सुनें और हो सके तो अपनी क्षमता अनुसार दान दें।
आज के दिन वराह स्त्रोत और वराह कवच का पाठ करना भी शुभ होता है। इस तरह पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। अगर इनका पाठ करना संभव नहीं है तो इन मंत्रों का जाप करें:
Chant these mantras
ॐ वराहाय नमः
ॐ सूकराय नमः
ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नमः
मंत्रों का जाप करते समय मन भगवान की तरफ ही एकाग्र होना चाहिए।
Importance of Varaha Jayanti वराह जयंती का महत्व
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाने के लिए वराह रूप में अवतार लिया था। जो भी व्यक्ति इनकी शरण में जाता है भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखते हैं।
इसके अलावा अगर भूमि-भवन को लेकर कोई परेशानी चल रही है तो इनकी पूजा करने से वो भी दूर हो जाती है।
आत्मविश्वास की बढ़ोतरी के लिए आज श्री हरि के वराह रूप की अवश्य पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से मन के विकार भी दूर हो जाते हैं।