Varaha Jayanti: भगवान वराह का सुअर के रूप में पहला कदम धरती पर कब और कैसे पड़ा, पढ़े कथा

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 06:44 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Varaha Avatar Jayanti 2024: वराह जयंती भगवान विष्णु के वराह अवतार की उपासना का पर्व है। वराह अवतार, भगवान विष्णु का तीसरा अवतार था, जिसमें उन्होंने एक वराह (सुअर) का रूप धारण किया था। इस अवतार के माध्यम से उन्होंने पृथ्वी को असुरों से बचाया और धरती को समुद्र से उबार लिया। वराह जयंती पर भक्त विशेष पूजा, हवन और भजन-कीर्तन करते हैं। यह पर्व भगवान विष्णु की भक्ति और उनके अवतारों की महिमा को मनाने का अवसर होता है।

PunjabKesari Vishnus Varaha Avatar

Vishnus Varaha Avatar: भगवान विष्णु के वराह अवतार ने दैत्य हिरण्याक्ष से पृथ्वी को बचाया था। भगवान विष्णु ने कुल 24 अवतार लिए हैं जिनमें से मत्स्य और कच्छप अवतार के बाद तीसरा अवतार है वराह। इस अवतार के माध्यम से मानव शरीर के साथ परमात्मा का पहला कदम पृथ्वी पर पड़ा। मुख शूकर का था और शरीर मानव का।

Varaha Avatar Story: पौराणिक कथा के अनुसार बैकुंठ लोक के द्वारपाल जय और विजय ने बैकुंठ लोक जाते समय सप्त ऋषियों को द्वार पर रोका था जिस कारण उन्हें श्राप मिला कि दोनों को तीन जन्मों तक पृथ्वी पर दैत्य बन कर रहना पड़ेगा। अपने पहले जन्म में दोनों ने कश्यप और दिति के पुत्रों के रूप में जन्म लिया और हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष कहलाए। दोनों दैत्यों ने पृथ्वी वासियों को परेशान करना शुरू कर दिया। पृथ्वी पर हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष का अत्याचार बढ़ता जा रहा था।

हिरण्याक्ष ने तो यज्ञ आदि धर्म-कर्म करने पर लोगों को पीड़ित करना शुरू कर दिया। हिरण्याक्ष में हिरण्य मतलब स्वर्ग और अक्ष मतलब आंखें जिसकी आंखें दूसरे के धन पर लगी रहती हों वह हिरण्याक्ष है। हिरण्याक्ष एक दिन घूमते हुए वरुण की नगरी में जा पहुंचा। पाताल लोक में जाकर हिरण्याक्ष ने वरुण देव को युद्ध के लिए ललकारा। वरुण देव बोले कि अब मुझमें लड़ने का चाव नहीं रहा। तुम जैसे बलशाली वीर से लड़ने के योग्य अब मैं नहीं हूं। तुम्हें विष्णु जी से युद्ध करना चाहिए।

PunjabKesari Vishnus Varaha Avatar
हिरण्याक्ष ने अपनी शक्ति से स्वर्ग पर कब्जा कर पूरी पृथ्वी को अपने अधीन कर लिया। हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब देवताओं ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी से हिरण्याक्ष से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए नासिका से वराह नारायण को जन्म दिया। भगवान विष्णु के इस रूप को देख कर सभी देवताओं एवं ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी की तलाश शुरू की।

अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर पृथ्वी को रख कर समुद्र से बाहर ले आए। जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा जिस पर भगवान वराह एवं हिरण्याक्ष के बीच भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया। इसके पश्चात वराह भगवान अंतर्ध्यान हो गए। 

PunjabKesari Vishnus Varaha Avatar


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News