परमात्मा का पहला कदम पृथ्वी पर कब और कैसे पड़ा, पढ़े कथा

punjabkesari.in Thursday, Dec 02, 2021 - 10:40 AM (IST)

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Vishnus Varaha Avatar: भगवान विष्णु के वराह अवतार ने दैत्य हिरण्याक्ष से पृथ्वी को बचाया था। भगवान विष्णु ने कुल 24 अवतार लिए हैं जिनमें से मत्स्य और कच्छप अवतार के बाद तीसरा अवतार है वराह। इस अवतार के माध्यम से मानव शरीर के साथ परमात्मा का पहला कदम पृथ्वी पर पड़ा। मुख शूकर का था और शरीर मानव का।

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Varaha Avatar Story: पौराणिक कथा के अनुसार बैकुंठ लोक के द्वारपाल जय और विजय ने बैकुंठ लोक जाते समय सप्त ऋषियों को द्वार पर रोका था जिस कारण उन्हें श्राप मिला कि दोनों को तीन जन्मों तक पृथ्वी पर दैत्य बन कर रहना पड़ेगा। अपने पहले जन्म में दोनों ने कश्यप और दिति के पुत्रों के रूप में जन्म लिया और हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष कहलाए। दोनों दैत्यों ने पृथ्वी वासियों को परेशान करना शुरू कर दिया। पृथ्वी पर हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष का अत्याचार बढ़ता जा रहा था।

हिरण्याक्ष ने तो यज्ञ आदि धर्म-कर्म करने पर लोगों को पीड़ित करना शुरू कर दिया। हिरण्याक्ष में हिरण्य मतलब स्वर्ग और अक्ष मतलब आंखें जिसकी आंखें दूसरे के धन पर लगी रहती हों वह हिरण्याक्ष है। हिरण्याक्ष एक दिन घूमते हुए वरुण की नगरी में जा पहुंचा। पाताल लोक में जाकर हिरण्याक्ष ने वरुण देव को युद्ध के लिए ललकारा। वरुण देव बोले कि अब मुझमें लड़ने का चाव नहीं रहा। तुम जैसे बलशाली वीर से लड़ने के योग्य अब मैं नहीं हूं। तुम्हें विष्णु जी से युद्ध करना चाहिए।

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हिरण्याक्ष ने अपनी शक्ति से स्वर्ग पर कब्जा कर पूरी पृथ्वी को अपने अधीन कर लिया। हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब देवताओं ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी से हिरण्याक्ष से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए नासिका से वराह नारायण को जन्म दिया। भगवान विष्णु के इस रूप को देख कर सभी देवताओं एवं ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी की तलाश शुरू की।

अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर पृथ्वी को रख कर समुद्र से बाहर ले आए। जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा जिस पर भगवान वराह एवं हिरण्याक्ष के बीच भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया। इसके पश्चात वराह भगवान अंतर्ध्यान हो गए। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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