Vakratunda Chaturthi 2025: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कब ? जानें शुभ मुहूर्त और तिथि
punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 05:00 AM (IST)

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Vakratunda Chaturthi 2025: पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है। जो कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से इस दिन पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही इस दिन करवाचौथ का व्रत भी रखा जाएगा। तो चलिए जानते हैं वर्ष 2025 में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब रख जाएगा ?
When is Vakratunda Sankashti Chaturthi वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कब है ?
वर्ष 2025 में, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। यह चतुर्थी तिथि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आती है और उत्तर भारत में इसी दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रसिद्ध करवा चौथ का व्रत भी रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप की पूजा की जाती है, जिन्हें विघ्नहर्ता और संकटों को दूर करने वाला माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही पूर्ण माना जाता है, इसलिए चंद्रोदय का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। पंचांग के अनुसार वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2025 के लिए शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 9 अक्टूबर 2025, रात 10 बजकर 54 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर 2025, शाम 07 बजकर 38 मिनट तक
चंद्रोदय- 10 अक्टूबर 2025, रात 08 बजकर 13 मिनट पर
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का शाब्दिक अर्थ है संकटों को हरने वाली चतुर्थी। यह दिन भगवान श्री गणेश को समर्पित है, जिन्हें प्रथम पूज्य देवता का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट, बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान स्वयं अपने भक्तों के विघ्न हर लेते हैं।
मनोकामना पूर्ति:
जो भक्त सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ यह व्रत करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति, अच्छे स्वास्थ्य, धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।
करवा चौथ का संयोग:
उत्तर भारत में यह चतुर्थी तिथि करवा चौथ के रूप में भी मनाई जाती है। यह एक अत्यंत शुभ संयोग है, जहां एक ओर भगवान गणेश भक्तों के संकट दूर करते हैं, वहीं दूसरी ओर सुहागिनें चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना करती हैं।
Vakratunda Sankashti Chaturthi fast and worship method वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत एवं पूजा विधि
प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद हाथ में जल, अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
घर के मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें। भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद रोली, चंदन, अक्षत, दूर्वा , पीले फूल, जनेऊ, धूप और दीप अर्पित करें।
भोग: गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग अवश्य लगाएँ, क्योंकि यह उन्हें अति प्रिय है।
मंत्र जाप और कथा: पूरे दिन निराहार या फलाहार रहते हुए भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
मंत्र: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
शाम को संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।