Vaishali Tourism 2021: अध्यात्म से सराबोर होने के लिए करें वैशाली की यात्रा

punjabkesari.in Tuesday, Mar 30, 2021 - 09:44 AM (IST)

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Vaishali Tourism 2021: वैशाली बिहार प्रांत के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर 12 अक्तूबर 1972 को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। वज्जिका तथा हिंदी यहां की मुख्य भाषाएं हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र अर्थात ‘रिपब्लिक’ कायम किया गया था।

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भगवान महावीर की जन्मस्थली
वैशाली भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का यहां 3 बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्व का होने के अलावा आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां 263 एकड़ में फैली हुई प्रसिद्ध बरैला झील है।

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इस तरह हुआ नामकरण
वैशाली का नामकरण रामायण काल के एक राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण में इस क्षेत्र पर राज करने वाले 34 राजाओं का उल्लेख है जिसमें प्रथम ‘नभग’ तथा अंतिम ‘सुमति’ थे। राजा ‘सुमति’ राजा दशरथ के समकालीन थे।
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विश्व को दिया गणतंत्र का ज्ञान
विश्व को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्तर पर जिस लोकशाही को अपनाया जा रहा है, वह यहां के लिच्छवी शासकों की ही देन है। ईसा पूर्व छठी सदी के उत्तर और मध्य भारत के विकसित हुए 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान अति महत्वपूर्ण था।

नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरूआत की गई थी। लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यहां का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था। मौर्य और गुप्त राजवंश में जब पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) राजधानी के रूप में विकसित हुआ, तब वैशाली इस क्षेत्र में होने वाले व्यापार और उद्योग का प्रमुख केंद्र था। ज्ञान प्राप्ति के पांच वर्ष बाद भगवान बुद्ध का वैशाली आगमन हुआ जिसमें वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली सहित चौरासी हजार नागरिक संघ में शामिल हुए।

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बौद्ध महत्व का स्थल
वैशाली के समीप कोल्हुआ में भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम संबोधन दिया था। इसकी याद में महान मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सिंह स्तम्भ का निर्माण करवाया था। भगवान बुद्ध के महा परिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद वैशाली में दूसरी बौद्ध परिषद् का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की याद में दो बौद्ध स्तूप बनवाए गए। वैशाली के समीप ही एक विशाल बौद्ध मठ है जिसमें भगवान बुद्ध उपदेश दिया करते थे।

भगवान बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य आनंद की पवित्र अस्थियां हाजीपुर (पुराना नाम-उच्चकला) के पास एक स्तूप में रखी गई थी। पांचवीं तथा छठी सदी के दौरान प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान तथा ह्वेनसांग ने वैशाली का भ्रमण कर यहां का भव्य वर्णन किया है।

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जैनियों के लिए भी महत्वपूर्ण
जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी वैशाली काफी महत्वपूर्ण है। यहीं पर 599 ईसा पूर्व में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वसोकुंड में हुआ था। वह यहां 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। इस तरह वैशाली भारत के दो महत्वपूर्ण धर्मों का केंद्र था।

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इतिहास, कला और संस्कृति में समृद्ध
बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायियों के अलावा ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी वैशाली महत्वपूर्ण है। वैशाली की भूमि न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है, बल्कि कला और संस्कृति के दृष्टिकोण से भी काफी धनी है। वैशाली जिले के चेचर (श्वेतपुर) से प्राप्त प्राचीन मूर्तियां तथा सिक्के पुरातात्विक महत्व के हैं।

पूर्वी भारत में मुस्लिम शासकों के आगमन के पूर्व वैशाली मिथिला के कर्नाट वंश शासकों के अधीन रही लेकिन जल्द ही यहां गयासुद्दीन एवाज का शासन हो गया। 1323 में तुगलक वंश के शासक गयासुद्दीन तुगलक का राज आया। इसी दौरान बंगाल के एक शासक हाजी इलियास शाह ने 1345 ई. से 1358 ई. तक यहां शासन किया।

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चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी बिहार का नियंत्रण जौनपुर के राजाओं के हाथ में चला गया जो तब तक जारी रहा जब तक दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोधी ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं कर लिया।

बाबर ने बंगाल अभियान के दौरान गंडक तट के पार हाजीपुर में अपनी सैन्य टुकड़ी को भेजा था। 1572 ई. से 1574 ई. के दौरान बंगाल विद्रोह को कुचलने के क्रम में अकबर की सेना ने दो बार हाजीपुर किले पर घेरा डाला था। 18वीं सदी के दौरान अफगानों ने तिरहुत कहलाने वाले इस प्रदेश पर कब्जा किया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय वैशाली के शहीदों की अग्रणी भूमिका रही है। बसावन सिंह, बेचन शर्मा, अक्षयवट राय, सीताराम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आजादी की लड़ाई के दौरान 1920, 1925 तथा 1934 में महात्मा गांधी का वैशाली जिले में तीन बार आगमन हुआ था। सन् 1875 से लेकर 1972 तक यह जिला मुजफ्फरपुर का अंग बना रहा। 12 अक्तूबर 1972 को वैशाली को स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ।

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कहलाता है मिनी पटना भी
मिनी पटना कहा जाने वाला यह शहर राजधानी पटना से एशिया के सबसे बड़े पुल महात्मा गांधी सेतु द्वारा जुड़ा हुआ है।
‘गज’ (हाथी) और ‘ग्राह’ (मगरमच्छ) की युद्धस्थली ‘कौनहारा घाट’ वह स्थान है जहां असत्य पर सत्य की विजय को जीवंत रखने हेतु स्वयं भगवान हरि को इस मृत्युलोक पर आकर गज की रक्षा करनी पड़ी। फलत: यह शहर हरिपुर के नाम से जाना गया। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाला यह शहर भगवान राम की चरणधूलि रामभद्र में रामचौड़ा के रूप में पूजनीय है। कौनहारा घाट पर ही नेपाल के महाराज का बनाया हुआ विशाल मंदिर ‘नेपाली छावनी’ काष्ठ और स्थापत्य कलाकारों की कला का उत्कृष्ट नमूना है। महादेव शिव का अति प्राचीन मंदिर ‘बाबा पातालेश्वर नाथ’ शहर की हिंदू धार्मिक प्रवृत्ति से रू-ब-रू कराता है, जबकि नगर का सबसे पुराना एम. चौक, जो हिंदुओं के लिए महावीर चौक और मुस्लिमों के लिए मस्जिद चौक है, हिंदू-मुस्लिम एकता का ज्वलंत उदाहरण है।

ऐतिहासिक और धार्मिक स्थली के साथ-साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी नगर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है।
स्टेशन के ठीक सामने शहर की हृदय स्थली ‘गांधी आश्रम’ है जहां चंपारण जाने के दौरान गांधी जी के चरण पड़े थे। प्रवेश द्वार ‘शिवाजी द्वार’ छत्रपति शिवाजी की मूर्ति, ढाल-तलवार और तोपों सहित सुसज्जित है।
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कैसे पहुंचें :
वायुमार्ग द्वारा :
पटना (बिहार की राजधानी) शहर वैशाली से निकटतम हवाई अड्डा है। पटना देश भर के महत्वपूर्ण शहरों जैसे दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी, लखनऊ और अन्य से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क द्वारा : एक सुविधाजनक सड़क नैटवर्क के माध्यम से वैशाली बिहार के कई महत्वपूर्ण शहरों जैसे पटना (55 कि.मी.), मुजफ्फरनगर (37 कि.मी.) सहित देश के बाकी हिस्सों जुड़ा हुआ है।

रेल द्वारा : निकटतम रेलवे स्टेशन हाजीपुर है जो वैशाली से केवल 2.5 कि.मी. दूर है। हाजीपुर के रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का संचालन  नियमित रूप से होता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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