Masik Kalashtami 2025 : कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए करें इस स्तोत्र का करें पाठ, हर परेशानी से मिलेगा छुटकारा
punjabkesari.in Monday, Jan 20, 2025 - 12:47 PM (IST)
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Masik Kalashtami 2025: हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में कालाष्टमी का बहुत विशेष महत्व है। इस साल मासिक कालाष्टमी 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन लोग भगवान शिव के सबसे उग्र रूपों में से एक भगवान भैरव की पूजा करते हैं। माना जाता है कि इस दिन भैरव बाबा की पूजा करने और व्रत रखने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली परेशानी से छुटकारा मिलता है। पूजा के दौरान भैरव बाबा के स्तोत्र का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है। कालाष्टमी व्रत के दिन भैरव बाबा के स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति की मन की हर मुराद पूरी होती है। तो आइए जानते हैं भैरव बाबा के स्तोत्र के बारे में-
कालाष्टमी के दिन करें कालभैरव स्तोत्र का पाठ
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥
॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥