‘हरिपुर’ से बना ‘हाजीपुर’, जानें इसका कारण और कहानी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 11, 2017 - 11:21 AM (IST)

वद्र्धमान महावीर की जन्म भूमि, गौतम बुद्ध की कर्मभूमि और आम्रपाली की रंगभूमि के नाम से विख्यात वैशाली भारत के प्राचीन नगरों में से एक है। जनतंत्र की माता कही जाने वाली वैशाली नगरी सोलह महाजनपदों में से एक लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी। वैशाली का जिला मुख्यालय अजीपुर गंगा-गंडक तट पर स्थित है। 


पुराणों में वर्णित ‘हरिपुर’ नाम से विख्यात यह स्थल कालांतर में मो. हाजी इलियास के नाम पर ‘हाजीपुर’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत के पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्यालय के रूप में उभर कर आया है। मिनी पटना कहा जाने वाला यह शहर राजधानी पटना से एशिया के सबसे बड़े पुल महात्मा गांधी सेतु द्वारा जुड़ा हुआ है। 


गज और ग्राह की युद्धस्थली ‘कौनहारा घाट’ वह स्थान है जहां असत्य पर सत्य की विजय को जीवंत रखने हेतु स्वयं भगवान हरि को इस मृत्युलोक पर आकर गज की रक्षा करनी पड़ी। फलत: यह शहर हरिपुर के नाम से जाना गया।


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाला यह शहर भगवान राम की चरण-धूलि रामभद्र में रामचौड़ा के रूप में पूजनीय है। कौनहारा घाट पर ही नेपाल महाराज का बनाया हुआ विशाल मंदिर, ‘नेपाली छावनी’ काष्ठ और स्थापत्य कलाकारों की कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। महादेव शिव का अति प्राचीन मंदिर ‘बाबा पातालेश्वर नाथ’ शहर की हिन्दू धार्मिक प्रवृत्ति से रू-ब-रू कराता है। नगर का सबसे पुराना चौक एम. चौक हिन्दुओं के लिए महावीर चौक और मुस्लिमों के लिए मस्जिद चौक हिन्दू-मुस्लिम एकता का ज्वलंत उदाहरण है। 


ऐतिहासिक और धार्मिक स्थली के साथ-साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी इस नगर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। साहित्यिक दृष्टिकोण का सर्वोत्कृष्ट नमूना किरण मंडल है। सफदर हाशमी रंगमंच, दीप नारायण सिंह संग्रहालय, अक्षयवट राय स्टेडियम, प्रैस क्लब आदि अनेक सांस्कृति धरोहरें जनता को समर्पित हैं। 


स्टेशन के ठीक सामने शहर की हृदय स्थली ‘गांधी आश्रम’ है जहां चंपारण जाने के दौरान गांधी जी के चरण पड़े थे। प्रवेश द्वार ‘शिवा जी द्वार’ छत्रपति शिवाजी की मूर्त, ढाल-तलवार और तोपों सहित सुसज्जित है।


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