Vaishakh Month: वैशाख महीने के अंतिम 3 दिन (10, 11 और 12 मई) देंगे अक्षय पुण्य, जानें कैसे ?

punjabkesari.in Friday, May 09, 2025 - 03:47 PM (IST)

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Vaishakh Month 2025: वैशाख महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। 1 महीने तक स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व रहता है। यहां तक की इस माह में किए गए पुण्य कार्य असीम फलदायी माने गए हैं। यदि आप वैशाख मास में कोई भी पुण्य कर्म नहीं कर पाए तो 10, 11 और 12 मई आखिरी तीन दिन ऐसे हैं जो महा पुण्यदायी हैं। इन 3 दिनों में स्नान-दान से मिलेगा अक्षय पुण्य। स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड में बताया गया है वैशाख मास की आखिरी तीन तिथियां कभी न खत्म होने वाला पुण्य देती हैं। जिससे अतीत में किए गए जाने-अनजाने हर पाप से मुक्ति मिलती है। तभी तो इसे पुष्करिणी कहा जाता है। 10 मई शनिवार को त्रयोदशी, 11 मई रविवार को चतुर्दशी और 12 मई सोमवार को पूर्णिमा तिथि है।

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8 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इसी रोज समुद्र मंथन से अमृत कलश का प्राकट्य हुआ था। द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा करी। त्रयोदशी तिथि पर मोहिनी रुपी भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पान करवाया। चतुर्दशी तिथि को राक्षसों को मार गिराया। वैशाख पूर्णिमा पर समस्य देवों को उनका साम्राज्य पुन: मिल गया।

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कहते हैं देवताओं ने आनंदित होकर वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की आखिरी तीन तिथियों को आशीर्वाद दिया था की जो व्यक्ति इन दिनों में स्नान-दान, व्रत और पूजा करेगा, उसे पूरे वैशाख मास का अक्षय पुण्य प्राप्त होगा। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो इन तीन दिनों में भगवान विष्णु ने तीन अवतार लिए थे। नृसिंह देव, कूर्म और भगवान बुद्ध।

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स्कंद पुराण में वर्णित है जो व्यक्ति सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने में असमर्थ रहा हो, वो केवल इन तिथियों में सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान कर ले तो उसे पूरे माह का पुण्य प्राप्त हो जाता है। अगर पवित्र नदी में जाना संभव न हो तो उसके जल से नहा लेना भी शुभ फलदायी रहता है।

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इसके अतिरिक्त वैशाख मास के अंतिम 3 दिनों में गीता पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से रोग, दुख और परेशानी दूर होते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि मिलती है। श्रीमद् भागवत का पाठ पढ़ने अथवा सुनने से व्यक्ति का आचरण शुद्ध होता है, आध्यात्मिक उन्नति होने लगती है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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