भगवान गणेश का ये मंदिर हैं कुछ खास, गणपति की है खास प्रतिमा
punjabkesari.in Tuesday, Jan 26, 2021 - 03:05 PM (IST)

जैसे कि सभी जानते ही हैं कि भगवान गणेश का पूजन किसी भी शुभ काम को शुरु करने से पहले किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से वे अपने भक्तों के सारे कष्ट व विघ्न दूर कर देते हैं। वहीं भगवान गणेश के कई ऐसे मंदिर देश में स्थापित हैं, जिनकी मान्यताएं अलग ही हैं। जी हां, राजस्थान के रणथम्भौर दुर्ग में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मंदिर की खास बात ये है कि हर वर्ष करोड़ों की संख्या में भगवान गणेश को चिटिठ्यां और निमंत्रण कार्ड भेजे जाते हैं। भगवान गणेश को आने वाले निमंत्रण पत्रों पर रणथम्भौर गणेश जी का पता भी लिखा जाता है। डाकिया इन पत्रों को श्रद्धा और सम्मान से पहुंचाते हैं, जिन्हे मंदिर के पुजारी इन निमन्त्रण पत्रों को भगवान त्रिनेत्र गणेश को पढ़ कर सुनाते है।
मान्यता है कि भगवान त्रिनेत्र गणेश को निमंत्रण भेजने से हर कार्य र्निविग्घन पूर्ण हो जाता है। पूरी दुनिया में यह इकलौता ऐसा गणेश मंदिर है, जहां श्री गणेश की तीन नेत्रों वाली प्रतिमा विराजमान है एवं जहां गणपति बप्पा अपने पूरे परिवार, दो पत्नी रिद्धि और सिद्धि एवं दो पुत्र- शुभ और लाभ के साथ विराजमान हैं।
इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान हैं, जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। गजवंदनम चितयम नामक ग्रंथ में विनायक के तीसरे नेत्र का वर्णंन किया गया है। मान्यता है कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी के रूप में गणपति को सौंप दिया था और इस तरह महादेव की समस्त शक्तियां गजानन में निहित हो गईं और वे त्रिनेत्र बने।
यह मंदिर 1579 फ़ीट ऊंचाई पर अरावली और विंध्यांचल की पहाड़ियों में स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए बहुत सीढियां चढ़नी पडती हैं। घर में कोई भी शुभ कार्य हो या फिर शादी, सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश जी महाराज को भक्तों द्वारा निमंत्रण पत्र भेजा जाता है। इतना ही नहीं परेशानी होने पर उसे दूर करने की अरदास भक्त यहां पत्र भेजकर लगाते हैं। नित्य प्रति हज़ारों की संख्या में निमंत्रण पत्र और चिट्ठियां यहाँ डाक से पहुंचती हैं, जिन्हें पुजारी बड़ी श्रृद्धा से गणेशजी की प्रतिमा के सामने पढ़कर सुनाते है।