क्या यहां आज भी पुजारी से पहले भक्त आल्हा करते हैं मां शारदा की पूजा?

punjabkesari.in Sunday, Oct 17, 2021 - 02:00 PM (IST)

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मध्यप्रदेश, (सतना): धार्मिक शास्त्रों में वीर योद्धा कहे जाने वाले आल्हा के वीरता के किस्से शामिल हैं। इन्होंने पृथ्वीराज सिंह चौहान जैसे योद्धा को युद्ध के दौरान कई बार हराया। आज हम आपको इनके बारे में कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं, जिसे जानने-सुनने वाला प्रत्येक व्यक्ति हैरान हो जाएगा। दरअसल कहा जाता है कि वीर बहादुर योद्धा कहलाने वाले आल्हा असल में मां शारदा देवी के बहुत बड़े भक्त व उपासक थे, बल्कि हैं। जी हां, आपको जानकर शायद हैरानी होगी परंतु त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मां शारदा देवी के दर्शन और पूजन करने के लिए भक्त आल्हा आज भी वहां उपस्थित होते हैं। लोक मत है कि वर्तमान युग व समय में भी माता शारदा के इस मंदिर के पट यानि द्वार खुलने से पहले ही उनकी पूजा हो चुकी होती है, जो उनके भक्त आल्हा संपन्न करते हैं। तो आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं क्या है इस लोक मत से जुड़ी संपूर्ण गाथा- 

ऐसा माना जाता है कि आल्हा मां शारदा देवी के सबसे प्रिय भक्त थे, लेकिन आल्हा को कोई भी नहीं देख पाया। मां शारदा देवी की प्रथम पूजा कर आल्हा अपने स्थान पर चले भी जाते हैं। कहते है कि मां हमेशा ऊंचे स्थानों में विराजमान होती हैं, जिस तरह मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहाड़ों को पार कर श्रद्धालु वैष्णो देवी तक दर्शन करने जाते हैं। ठीक वैसे ही मध्य प्रदेश के सतना जिले के त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मैहर की मां शारदा देवी के दर्शन के लिए भक्त 1063 सीढियों चढ़कर पहुंचते हैं। 

बता दें मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर हिंदू तीर्थ स्थल माना जाता है। त्रिकुट पर्वत स्थित मां शारदा देवी का यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर आल्हखंड के नायक आल्हा ऊदल दो सगे भाई मां शारदा के अनन्य उपासक थे। इस पर्वत की तलहटी में आल्हा का तालाब,आल्हा का अखाड़ा,आल्हा की औषधि, आल्हा का उद्यान आज भी मौजूद है और ठीक माता के मंदिर के पीछे भक्त आल्हा का पूजनीय स्थल स्थापित है। धार्मिक शास्त्रों में वर्णन के अनुसार माता के 52 शक्तिपीठ में से मैहर की मां शारदा देवी को मां शारदा देवी कहा जाता है।

अजर अमर भक्त वीर योद्धा आल्हा आज भी मां शारदा देवी के प्रथम दर्शन कर पूजा करते हैं। मां शारदा देवी के मंदिर के पीछे इनके प्रिय भक्त आल्हा का मंदिर भी स्थित है। मान्यता है कि यहां प्रतिदिन सुबह मां शारदा की सबसे पहले पूजा आल्हा करते हैं, हालांकि आज तक आल्हा को किसी ने देखा नहीं है। 

यहां ये भी मान्यता कि मैहर आने वाले माता के भक्त अगर आल्हा के दर्शन नहीं करते तो उन्हें मैहर की मां शारदा देवी की कृपा प्राप्त नहीं होता और उनके दर्शन अधूरे माने जाते हैं। आल्हा वह शख्सियत हैं जिन्होंने कई मर्तबा पृथ्वीराज सिंह चौहान को युद्ध में नाको चने चबाने पर मजबूर किया है उत्तर प्रदेश के महोबा के राजा परिमाल के सेनापति रहे आल्हा और उनके भाई ऊदल ने 52 गढ़ की लड़ाईयां जीती हैं। 


 


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Content Writer

Jyoti

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