कल इस मुहूर्त में करें देवी पद्मलक्ष्मी का विशेष पूजन, मान सम्मान में होगी वृद्धि

punjabkesari.in Thursday, Mar 29, 2018 - 10:15 AM (IST)

कल शुक्रवार दि॰ 30.03.18 को चतुर्दशी तिथि, शुक्र का नक्षत्र पूर्वफाल्गुनी व वाणिज्यकरण है, ऐसे योगायोग में देवी कमला का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। दस महाविद्याओं में कमला दसवीं महाविद्या है। कमला ही महाविष्णु की शक्ति व सदाशिव की अधिष्ठात्री देवी हैं। कमला के भैरव ‘‘नारायण भैरव’’ है। देवी कमला का एक नाम पद्मलक्ष्मी भी है यह सुगंधित पद्म अर्थात कमल की माला पहनती है व कमल के फूल को हाथ में रखती हैं एवं कमल पर ही निवास करती है। इनके मंदिरों को पद्मालया कहा जाता है। देवी पद्मलक्ष्मी का वर्ण भी पद्म जैसा ही है, क्योंकि देवी पद्मलक्ष्मी स्वयं भी पद्म से उत्पन्न हुई है। पद्म की पंखुडी की तरह इनकी बड़ी-बड़ी लुभावनी आंखे हैं। हाथ, चरण, उरू आदि सब अवयव कमल की तरह ही हैं। देवी पद्मा की कृपा से सारे जगत को सुख व सम्पत्ति प्राप्त होती है। 

पौराणिक वर्णन अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप से देवता श्रीहीन आर्थात निर्धन हो गए। सभी देवता घबराकर श्रीहरि की शरण में गए। विष्णु की आज्ञा से समुद्र मंथन हुआ, जिससे देवी पद्मा का अवतरण हुआ। देवी पद्मलक्ष्मी ही सारे संसार को धन व ऐश्वर्य देती हैं। देवी पद्मलक्ष्मी का संबंध शुक्र ग्रह से है क्योंकि संसार में जितनी भी मिट्टी है उस पर शुक्र का आधिपत्य है व कमल का फूल मिट्टी व पानी के मिश्रण आर्थात कीचड़ से ही उत्पन्न होता है। कमला ही जगत पालन करती हैं। धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चार पुरूषार्थो को प्राप्त होते हैं। देवी कमला की साधना से व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है, पारिवारिक खुशहाली आती है व बेरोजगारी से मुक्ति मिलती है।


पूजन विधि: संध्या के समय में ईशान मुखी होकर देवी विजयालक्ष्मी का विधिवत पंचोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, गुलाब का फूल चढ़ाएं, अबीर चढ़ाएं, साबूदाने की खीर का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र से का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग किसी सुहागन को दान दे दें।


पूजन मुहूर्त: शाम 19:35 से रात 20:35 तक।


पूजन मंत्र: ॐ क्लीं कमलायै नमः॥


उपाय
बेरोजगारी से मुक्ति हेतु देवी कमला पर चढ़ा सिक्का पर्स में रखें।
पारिवारिक खुशहाली हेतु देवी कमला पर चढ़े आलू गाय को खीलाएं।
मान सम्मान में वृद्धि हेतु देवी कमला पर कमल का फूल चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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Aacharya Kamal Nandlal

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