गर्मी में बाग की हवा का आनंद लेने के लिए Follow करें तेनाली राम की सीख

punjabkesari.in Monday, Jun 08, 2020 - 02:18 PM (IST)

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Inspirational Story: उन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही थी। महाराज के दरबार में काफी उमस थी। सभी के शरीर पसीने से नहाए हुए थे। दरबारियों की तो कौन कहे स्वयं महाराज पसीने से तर बतर थे। राजपुरोहितों को कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी, अत: बोले, ‘‘महाराज! सुबह-सवेरे की बाग की हवा कितनी शीतल और सुगंधित होती है। क्या ऐसी हवा दरबार में नहीं लाई जा सकती?’’

PunjabKesariTenalirams Inspirational Story

‘‘वाह-वाह राजगुरु गर्मी से छुटकारा पाने का उपाय तो उत्तम बताया है तुमने।’’

महाराज खुश हो गए फिर दरबारियों से मुखातिब हुए, ‘‘क्या आप लोगों में से कोई बाग की हवा दरबार में ला सकता है?’’

‘‘राजगुरु ने भी क्या बकवास बात कही है।’’ सभी दरबारियों ने मन ही मन में सोचा और सिर झुका लिए।

यह कार्य तो बिल्कुल असंभव था। महाराज ने घोषणा की कि ‘‘जो कोई भी बाग की हवा दरबार में लाएगा उसे एक हजार स्वर्ण मुद्राएं इनाम में दी जाएंगी।’’

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इसी के साथ सभा बर्खास्त हो गई। सभी दरबारी सोच रहे थे कि यह कार्य तो बिल्कुल असंभव है, कोई नहीं कर सकता। हवा कोई वाहन थोड़े ही है कि इसका रुख दरबार की ओर कर दिया जाए। इकट्ठा करने वाली वस्तु भी नहीं कि सुबह एकत्रित कर लें और मनचाहा समय निकालकर प्रयोग कर लें। 

दूसरे दिन जब दरबारी सभा में आए तो सभी उत्सुकता से एक-दूसरे की ओर देखने लगे कि शायद कोई हवा लाया हो। उनकी सूरतें देख कर महाराज बोले, ‘‘लगता है हमारी ये इच्छा पूर्ण नहीं होगी।’’ 

तभी तेनाली राम अपने स्थान से उठ कर बोले, ‘‘आप निराश क्यों होते हैं महाराज। मेरे होते आपको तनिक भी निराश होने की आवश्यकता नहीं। मैं आपके लिए बाग की हवा को कैद करके ले आया हूं।’’

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उसकी बात सुनकर महाराज सहित सभी दरबारी चौंक पड़े। महाराज ने पूछा, ‘‘कहां है हवा? उसे तुरंत छोड़ो तेनाली राम।’’

तेनाली राम को तो आज्ञा मिलने की देर थी, उसने फौरन बाहर खड़े पांच व्यक्तियों को भीतर बुलाया और महाराज के गिर्द घेरा डलवा दिया। उनके हाथों में खसखस और चमेली-गुलाब के फूलों से बने बड़े-बड़े पंखे थे, जो इत्र जल आदि में भीगे हुए थे। तेनाली राम का इशारा पाते ही वे महाराज को पंखे झलने लगे। थोड़ी ही देर में पूरा दरबार महकने लगा। बड़े-बड़े पंखों की हवा होते ही महाराज को गर्मी से राहत मिली और उन्हें आनंद आने लगा। मन ही मन उन्होंने तेनाली राम की बुद्धि की सराहना की और बोले, ‘‘तेनाली राम! तुम इंसान नहीं फरिश्ता हो, हर चीज हाजिर कर देते हो। इस राहत भरे कार्य के लिए हम तुम्हें एक नहीं, पांच हजार अशर्फियों का ईनाम देने की घोषणा करते हैं तथा व्यवस्था मंत्री को आदेश दिया जाता है कि कल से दरबार में इसी प्रकार की हवा की व्यवस्था करें। यह पहला मौका था जब शत्रु मित्र सभी दरबारियों ने तेनाली राम के सम्मान में तालियां बजाईं।    


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Niyati Bhandari

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