क्या आप ने किए सूर्य देव के इन मंदिरों के दर्शन, जो अपने आप में है बेहद खास
punjabkesari.in Sunday, Oct 16, 2022 - 02:48 PM (IST)

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सूर्य का अर्थ है सूरज जो हमें रोशनी देता है और जिन्हें भगवान हिंदू धर्म में भगवान का दर्जा प्राप्त है। भगवान सूर्य आकाश मंडल के नौ नौ ग्रहों में से एक है। प्राचीन समय से ही भारत देश में उनके कई खूबसूरत मंदिर स्थित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनके मंदिरों का निर्माण विभिन्न संस्कृतियों और राजाओं द्वारा करवाया गया है। भारत देश में सूर्यदेव के कई सारे मंदिर हैं लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों से परिचित करवाने जा रहे हैं जो मुख्य रूप से सूर्य भगवान को समर्पित हैं। पहले मंदिर की बात करें तो वो है कोणार्क का सूर्य मंदिर। कोणार्क मंदिर अपनी अलग ही विशोषता लिए हुए है जिसके कारण यह मंदिर विश्व भर में मशहूर है। लेकिन कई अन्य कारण भी है जिसकी वजह से इस मंदिर को देखने के लिए दुनिया के कोने कोने से लोग आते हैं। इसके बाद अगर देखें तो अगला मंदिर है जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर। इस मंदिर की ये खासियत है कि इसे इतना ऊपर बनाया गया था जहां से पूरी कश्मीर घाटी को देखा जा सकता है। तो वहीं सूर्यदेव के तीसरा मंदिर की तो ये है मोढ़ेरा सूर्य मंदिर जो गुजरात के मेहसाना जिले के मोढेरा नाम के गांव में पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान की विशेषता है कि इसे बनवाने में कहीं पर भी चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है। साथ ही साथ विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र भी गड़े हुए हैं। तो चलिए इन मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
कोणार्क सूर्य मंदिर
सूर्यदेव को समर्पित रथ के आकार का बना कोणार्क मंदिर जो कि ओडिशा में स्थित है। भारत का ये प्राचीन काल से निर्मित मंदिर वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण है। इस मंदिर का निर्माण राजा नरसिंह देव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर रथ के आकार का है इसलिए इसमें 12 जोड़ी पहिए लगे हुए हैं और रथ को खींचने के लिए 7 घोड़े भी बने हुए हैं।
इस मंदिर में कोई नहीं है क्योंकि यहां की सूर्यदेव की प्रतिमा को जगन्नाथ मंदिर में रख दिया गया है। इस मंदिर का खासियत है कि ये समय की गति को भी दर्शाता है। पूर्व दिशा की ओर जुते 7 घोड़े सप्ताह के सातों दिनों के, 12 जोड़ी पहिए दिन के चौबीस घंटे के, और 8 ताड़ियां दिन के आठों प्रहर के प्रतीक हैं। पहियों के बारे में कहा जाता है कि 12 जोड़ी पहिए साल के बारह महीनों के बारे में भी संदेश देते हैं।
मार्तंड सूर्य मंदिर
मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण मध्यकाल में 7वीं से 8वीं शताब्दी में हुआ था। सूर्य राजवंश के राजा ललितादित्य ने अनंतनाग के पास एक पठारी क्षेत्र में इसका निर्माण करवाया था। मार्तंड सूर्य मंदिर में लगभग 84 स्तंभ हैं जो समान अंतराल पर हैं, इसे बनाने के लिए चूने के पत्थर की चकोर ईंटों को उपयोग में लिया गया है।
इसके बारे में एक कहानी भी प्रसिद्ध है कि यहां सूर्य की पहली किरण निकलने पर राजा इस सूर्य मंदिर में पूजा कर चारों दिशाओं में देवताओं का आह्वान करने के बाद अपनी दिनचर्या आरंभ करते थे। लेकिन अब ये मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुका है और इसकी उंचाई मात्र 20 फुट ही रह गई है।
मोढ़ेरा सूर्य मंदिर
मोढ़ेरा सूर्य मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित मोढ़ेरा सूर्य मंदिर है। यहां पर मौजूद एक शिला पर लिखा है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था। सोलंकी सूर्यवंशी थे इसलिए सूर्य को कुलदेवता के रूप में पूजते थे। इसलिए मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बनवाने में कहीं पर भी चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है। ईरानी तरीके से बने इस मंदिर के तीन हिस्से हैं पहला गर्भगृह, दूसरा सभामंडप और तीसरा सूर्य कुण्ड।
मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है। सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर जो कारीगरी है वे अद्भुत व अविश्वसनीय है। साथ ही इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र और रामायण व महाभारत की कथाओं को दर्शाया गया है। ये स्तंभ नीचे से देखने पर तो आट कोनों वाला और ऊपर से देखने में गोल हैं। मंदिर का निर्माण करते वक्त इस बात का ख्याल रखा गया है कि प्रात: काल सूर्य के उगने पर उनकी पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल सूर्य कुंड है जिसे रामकुंड के नाम से भी जाना जाता है। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमणों से मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा और कई मूर्तियां खंडित हो गई। फिलहाल ये मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है।