मंदिर की परिक्रमा करते समय करें इस मंत्र का जाप, पापों का होगा नाश

punjabkesari.in Wednesday, May 20, 2020 - 09:52 AM (IST)

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हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना के साथ परिक्रमा का भी बहुत महत्व है। शास्त्रानुसार परिक्रमा करने से मनुष्य को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और पाप नष्ट होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर में दिव्य शक्ति होने से हमें भी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। जिससे मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा का विकास होता है। मंदिर की परिक्रमा अपने दक्षिण भाग अर्थात दाएं हाथ से शुरु करनी चाहिए। दक्षिण की तरफ परिक्रमा करने से इसे 'प्रदक्षिणा' भी कहा जाता है। मंदिर में दैवीय शक्तियों का प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर होता है। बाईं तरफ से परिक्रमा करने पर सकारात्मक ऊर्जा का हमारे अंदर विद्यामान ऊर्जा से टकराव होने पर हमारा तेज कम हो जाता है। परिक्रमा करते समय बीच-बीच में रुकना नहीं चाहिए और न ही किसी से बात करनी चाहिए। परिक्रमा नंगे पांव की जाती है। परिक्रमा लगाते हुए देवी-देवता की पीठ की तरफ पहुंचने पर उन्हें प्रणाम करना चाहिए। परिक्रमा अधूरी करने से पूर्ण फल नहीं मिलता। परिक्रमा के समय करें इस मंत्र का उच्चारण- 

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"यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।"

अर्थात: मेरे द्वारा जाने-अनजाने और पिछले जन्मों में किए सारे पाप, इस परिक्रमा से समाप्त हो जाएं। परमात्मा मुझे अच्छे कार्य करने की बुद्धि प्रदान करें।

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शास्त्रानुसार सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की संख्या अलग-अलग है-
श्री राम भक्त हनुमान की तीन परिक्रमा करनी चाहिए।

भगवान शिव को चढ़ाया जल जिस ओर से निकलता हो उसे लांघ कर नहीं जाना चाहिए, वहीं से वापिस हो जाना चाहिए, इसलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा की जाती है। 

माता आदिशक्ति की एक या तीन परिक्रमा की जाती है। 

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श्री कृष्ण की चार परिक्रमा करने से पुण्य प्राप्त होता हैै।

सृष्टि के पालनहार विष्णु भगवान की चार परिक्रमा करना शुभ होता है।

भगवान श्री राम की चार परिक्रमा होती हैं।

प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की तीन परिक्रमा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और कार्य सिद्ध होते हैं।

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भैरव भगवान की तीन परिक्रमा की जाती हैं।

शनि भगवान की सात परिक्रमा करनी चाहिए।

सूर्य भगवान ही एक ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष हैं। उनकी सात परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पीपल के वृक्ष में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होने से इसे बहुत पवित्र माना जाता है। इसकी सात बार परिक्रमा करने से शनि दोष व अन्य ग्रहों के दोष नष्ट होते हैं।

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Niyati Bhandari

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