घंटा बजाने का भी है नियम ! Temple Bell से जुड़ी ये बातें हर भक्त को जाननी चाहिए
punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 01:12 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Temple Bell Rules : हिंदू धर्म में मंदिर प्रवेश करते ही सबसे पहला काम जो हम करते हैं, वह है मंदिर का घंटा बजाना। घंटे की वह मधुर और गूंजती हुई ध्वनि न केवल मन को शांत करती है, बल्कि हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार भी करती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में घंटा बजाने के पीछे का शास्त्र क्या है ? क्या इसे केवल प्रवेश के समय ही बजाना चाहिए ? ज्योतिष और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में घंटा बजाने के कुछ विशेष नियम और इसके पीछे गहरे वैज्ञानिक कारण छिपे हैं।

मंदिर में घंटा कब बजाना चाहिए ?
मंदिर में प्रवेश करते समय
सबसे प्रचलित नियम यह है कि जब आप मंदिर के गर्भगृह या मुख्य परिसर में प्रवेश करें, तो घंटा बजाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। इसे देवताओं को जागृत करना या उनसे मिलने की अनुमति मांगना माना जाता है।
आरती के समय
आरती के दौरान घंटों, घड़ियालों और शंख की ध्वनि एक साथ की जाती है। इस समय घंटा बजाना अत्यंत शुभ होता है क्योंकि यह वातावरण को पूरी तरह से भक्तिमय बना देता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
दर्शन के पश्चात
कई विद्वानों का मत है कि दर्शन करके निकलते समय भी एक बार हल्के से घंटा बजाना चाहिए। यह इस बात का प्रतीक है कि आप भगवान की कृपा और शांति को अपने साथ घर ले जा रहे हैं।

घंटा बजाने का पौराणिक महत्व
ऐसा माना जाता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ था, तब जो नाद गूंजी थी, वह घंटे की ध्वनि जैसी ही थी। इसलिए घंटा बजाना सृष्टि के उस आदि-स्वर का सम्मान है। मान्यता है कि घंटे की आवाज से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण होने लगते हैं और चित्त शुद्ध होता है।
Keep these things in mind when ringing the bell in the temple मंदिर में घंटा बजाते समय इन बातों का रखें ध्यान
मंदिर में शांति बनाए रखना भी एक तरह की पूजा है। बिना कारण या जोर-जोर से बार-बार घंटा न बजाएं।
दोपहर के समय जब मंदिर के पट बंद हों या भगवान के विश्राम का समय हो, तब घंटा नहीं बजाना चाहिए।
यदि आप मुख्य गर्भगृह के बिल्कुल पास हैं जहां पूजा चल रही है, तो वहां बहुत जोर से घंटा बजाकर पूजा में व्यवधान न डालें।

