पिता की पुत्र को अंतिम सीख, आप भी उठाएं लाभ
punjabkesari.in Friday, Nov 29, 2019 - 08:40 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हकीम लुकमान जब जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे थे तब वह अपने बेटे को आखिरी प्रेरणा देना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक दिन अपने बेटे को अपने पास बुलाया। बेटा जब कमरे में आया तो हकीम लुकमान ने धूपदान की ओर इशारा किया। इशारे को समझ बेटा धूपदान में से एक मुट्ठी चंदन का चूरा ले आया। उसके बाद लुकमान ने दूसरा इशारा किया। इशारा समझ बेटा दूसरे हाथ में कच्चा कोयला ले आया।
लुकमान ने फिर इशारा किया कि दोनों को फैंक दो। बेटे ने दोनों को फैंक दिया। लुकमान ने बेटे से जानना चाहा कि अब उसके हाथों में क्या है? बेटे ने बताया कि कुछ भी नहीं है, दोनों हाथ खाली हैं। लुकमान ने कहा, ‘ऐसा नहीं है। अपने हाथों को गौर से देखो।’
बेटे ने अनुभव किया कि जिस हाथ में चंदन का चूरा था वह अब भी खुशबू बिखेर रहा है और जिस हाथ में कोयला था उसमें अब भी पहले की तरह कालिख नजर आ रही है।
लुकमान ने कहा कि बेटा तुम्हारे लिए यह मेरी अंतिम शिक्षा है। चंदन का चूरा अब भी तुम्हारे हाथ में खुशबू दे रहा है जबकि तुम्हारे हाथ में अब चंदन नहीं है। कोयले का टुकड़ा तुमने हाथ में लिया तो तुम्हारा हाथ काला हो गया और उसे फैंक देने के बाद भी हाथ काला ही है। इसी तरह दुनिया में 2 प्रकार के लोग हैं। कुछ चंदन की तरह होते हैं जिनका जीवन स्वयं भी खुशबूमय होता है और जहां भी वे जाते हैं महक ही फैलाते हैं।ऐसे गुणवान लोगों के साथ जब तक रहो तब तक हमारा जीवन महकता रहता है और उनका साथ छूट जाने पर भी वह महक हमारे जीवन से जुड़ी रहती है। दूसरे ऐसे होते हैं जिनके साथ रहने से भी और साथ छूटने पर भी जीवन कोयले की तरह कलुषित होता है। हकीम का बेटा उनका आशय समझ गया।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami : रंग पंचमी पर कर लें यह उपाय, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
आज जिनका जन्मदिन है, जानें कैसा रहेगा आने वाला साल