7 जन्मों के लिए बल्कि सिर्फ 1 रात के लिए करते हैं किन्नर शादी
punjabkesari.in Thursday, Sep 10, 2020 - 07:18 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शादी करना हर किसी का सपना होता है, मगर बात जब किन्नरों की होती है तो सभी सोच में पड़ज जाते हैं कि भला किन्नर शादी कैसे करते हैं? क्योंकि इन्हें लोगों की खुशियों में, शादी ब्याह जैसे कार्यक्रमों में शामिल होते तो बहुत लोगों ने देखा होगा परंतु कभी किसी ने इनकी शादी शायद हो देखी होगी, बल्कि शायद ही किसी ने इनकी शादी के बारे में सुना ही होगा। तो चलिए आपको बताते हैं किन्नरों की शादी से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जिनके बारे में आप यकीनन नहीं जानते होंगे। बता दें किन्नरों की शादी से जुड़ी ऐसे कई तथ्य हैं, जिन्हें सुनने के बाद आपके आश्रर्य की कोई सीमा नहीं रहेगी। जी हां, आपको बता दें कि किन्नरों की शादी से संबंधित सबसे रोचक व दिलचस्प बात ये है कि इनकी शादी कोई 7 जन्मों के लिए नहीं बल्कि केवल 1 रात की होती है। जी हां, 1 रात की शादी के लिए बकायदा इनका सामाजिक विवाह समारोह होता है। तो आपको बता दें अगर आप इनके विवाह के साक्षी बनना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए तमिलनाडू जाना पड़ेगा। जी हां, बताया जाता है कि तमिल नववर्ष की पहली पूर्णमासी को किन्नारों के विवाह का उत्सव शुरू होकर 18 दिनों तक चलता है। 17वें दिन ये अपने भगवान इरावन के साथ ब्याह रचाते हैं। विवाह में दुल्हन सोलह प्रकार के श्रंगार भी करती है और एक किन्नर सहयोगी दुल्हन बनी किन्नर की सिंदूर से मांग भी भरता है और अगले दिन सारा श्रृंगार उतारकर विधवा की तरह शोक मनाते हैं।
बाकी की जानकारी देने से पहले ये बता देते हैं कि भगवान इरावन कौन हैं। और इनसे ही किन्नर का विवाह क्यों होता है। बता दें कि भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान हैं भगवान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण ने स्त्री का रूप धारण कर नाग राजकुमार इरावन से शादी की थी। विल्लूपुरम जिले के इस गांव में इरावन की पूजा कूथांदवार के रूप में होती है। हजारों किन्नर इरावन की दुल्हन के रूप में शादी समारोह में शिरकत करती हैं और मंदिर के पुजारी से उनकी गर्दन में कलावा बांधवाती हैं।
और फिर विवाह के बाद जश्न मनाया जाता है और उसके बाद इनके भगवान इरावन को पूरे शहर में घुमाया जाता है। फिर भगवान की मूर्ति को तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगते हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि किन्नर के विवाह की ये परंपरा महाभारत से शुरू हुई थी। महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद इन्हें एक राजकुमार की बलि देनी थी। बलि के लिए कोई भी राजुकमार तैयार नहीं हुआ। मगर इरावन तैयार हो गया, लेकिन उसकी एक शर्त थी कि वह बिना शादी किए बलि पर नहीं चढ़ेगा।
अब सवाल यह था कि ऐसे राजकुमार से कौन शादी करता, जिसको अगले दिन ही मरना है। तब भगवान कृष्ण ने इस समस्या का समाधान निकाला। श्री कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण करके आ गए और इन्होंने इरावन से विवाह किया। अगले दिन सुबह इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया। इस घटना को याद करके ही किन्नर एक दिन के लिए विवाह करते हैं और अगले दिन विधवा हो जाते हैं।