Srimad Bhagavad Gita: सारी वस्तुएं परमेश्वर की हैं

punjabkesari.in Sunday, Jul 10, 2022 - 11:14 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रीमद्भागवत गीता में श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए तमाम उपदेश वर्णित है। कहा जाता है ये उपदेश न केवल द्वापर युग तक मान्य माने जाते हैं बल्कि कहा जाता है कि जो व्यक्ति कलयुग में भी इन उपदेशों को समझता व अपनाता है, उसके लिए जीवन हमेशा आसान होता है। कहने का भाव है कि उसे जीवन की कोई कठिन परिस्थिति भी विचलित नहीं कर सकती। तो चलिए हमेशा की तरह जानते हैं श्रीमद्भागवत गीता का श्लोक जिसमें बताया गया है  सारी वस्तुएं परमेश्वर की है।
PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita, Bhagavad Gita In Hindi, Gita In Hindi,  Gita Shlok, Geeta Shlok in Hindi, Shri Krishna, Lord Krishna, Krishna And Arjun, Dharm
श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्याख्याकार :
स्वामी प्रभुपाद
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवदगीताश्रीमद्भागवत श्लोक-
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।
निराशीनिर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः:।। ३०।।

PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita, Bhagavad Gita In Hindi, Gita In Hindi,  Gita Shlok, Geeta Shlok in Hindi, Shri Krishna, Lord Krishna, Krishna And Arjun, Dharm

तात्पर्य :
श्लोक भगवत गीता के प्रयोजन को स्पष्टतया इंगित करने वाला है। भगवान की शिक्षा है कि स्वधर्म पालन के लिए सैन्य अनुशासन के सदृश कृष्णभावनाभावित होना आवश्यक है। ऐसे आदेश से कुछ कठिनाई उपस्थित हो सकती है, फिर भी कृष्ण के आश्रित होकर स्वधर्म का पालन करना ही चाहिए क्योंकि यह जीव की स्वाभाविक स्थिति है। जीव भगवान के सहयोग के बिना सुखी नहीं हो सकता क्योंकि जीव की नित्य स्वाभाविक स्थिति ऐसी है कि भगवान की इच्छाओं के अधीन रहा जाए। अत: कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध करने का इस तरह आदेश दिया मानो भगवान उसके सेनानायक हों।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
PunjabKesari

परमेश्वर की इच्छा के लिए मनुष्य को सर्वस्व की बलि करनी होती है और साथ ही स्वामित्व जताए बिना स्वधर्म का पालन करना होता है। अर्जुन को भगवान के आदेश का मात्र पालन करना था। परमेश्वर समस्त आत्माओं के आत्मा हैं। च्निराशी: ज् का अर्थ है स्वामी के आदेशानुसार कार्य करना, किंतु फल की आशा न करना। कोषाध्यक्ष अपने स्वामी के लिए लाखों रुपए गिन सकता है किंतु इसमें से वह अपने लिए एक पैसा भी नहीं चाहता। उसी प्रकार मनुष्य को यह समझना चाहिए कि इस संसार में किसी व्यक्ति का कुछ भी नहीं है, सारी वस्तुएं परमेश्वर की हैं।
PunjabKesari Srimad Bhagavad Gita, Bhagavad Gita In Hindi, Gita In Hindi,  Gita Shlok, Geeta Shlok in Hindi, Shri Krishna, Lord Krishna, Krishna And Arjun, Dharm

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News