Srimad Bhagavad Gita: मंजिल एक, रास्ते अनेक

punjabkesari.in Tuesday, Jan 18, 2022 - 01:16 PM (IST)

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Srimad Bhagavad Gita: गीता में दिए गए सभी मार्ग हमें अंतरात्मा की ओर ले जाते हैं। कुछ रास्ते एक-दूसरे के विपरीत प्रतीत होते हैं। हालांकि, यह एक चक्र की तरह है जहां दोनों ओर की यात्रा हमें उसी मंजिल तक ले जाएगी। गीता विभिन्न स्तरों पर कार्य करती है। कभी-कभी श्रीकृष्ण अर्जुन के स्तर तक आ जाते हैं तो कभी-कभी वह परमात्मा के रूप में आते हैं। 
यह स्थिति प्रारम्भिक अवस्था में समझने में कठिनाइयां पैदा करती है क्योंकि ये दोनों स्तर अलग-अलग प्रतीत होते हैं।

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पिछली शताब्दी की शुरुआत में, वैज्ञानिकों को प्रकाश को समझने में इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। प्रारंभ में यह सिद्ध हुआ कि प्रकाश एक ‘तरंग’ है और बाद में यह ज्ञात हुआ कि यह भी एक ‘कण’ की तरह व्यवहार करता है। दोनों सिद्धांत एक-दूसरे के विरोधी प्रतीत होते हैं लेकिन प्रकाश, जिससे हम इतने परिचित हैं, प्रत्यक्ष अंतर्विरोधों का संगम है। जीवन भी ऐसा ही है।

एक बार एक हाथी किसी गांव में घुसा। वहां कुछ नेत्र ज्योति से विहीन लोगों ने उसे पहचानने या समझने का प्रयास किया। 
उन्होंने हाथी के जिस हिस्से को छुआ, उसके आधार पर उन्होंने कल्पना की कि हाथी कैसा हो सकता है। सूंड को छूने वाले ने कहा कि हाथी एक लंबे और खुरदुरे प्राणी की तरह है। दांत को छूने वाले ने कहा कि यह जानवर चट्टान की तरह सख्त है। पेट को छूने वाले ने कहा कि यह विशाल और कोमल है। 

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इसी तरह सबकी अपनी राय थी यानी एक वास्तविकता की अलग-अलग धारणाएं। आज दुनिया में हम जो भी अंतर देखते हैं, उसका यही कारण है। वास्तव में हाथी इनमें से कोई नहीं है, बल्कि यह सब भी है। हमारी मन:स्थिति इन व्यक्तियों से भिन्न नहीं है। आंशिक समझ हमें दुख की ओर ले जाती है। गीता अनिवार्य रूप से एक आंशिक समझ से पूर्ण समझ तक की एक यात्रा है। इस समझ में कुछ कदम भी जीवन में आनंद ला सकते हैं।

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Content Writer

Jyoti

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