इस मंदिर में आने से ही भक्तों के दूर होते हैं सारे कष्ट, जानें रहस्य

punjabkesari.in Friday, Oct 25, 2019 - 04:25 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
दीपावली की रौनक दोश के हर कोने में देखने को मिल रही है। हर किसी शहर में अलग-अलग तरीकों से दिवाली मनाई जाती है। इस समय पर माता लक्ष्मी के मंदिरों में भी खासी भीड़ आपको देखने को मिलेगी, क्योंकि इस दिन लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। धन की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं, ताकि उनकी हर समस्या का हल हो सके। ऐसे में लोग इस दिन पूजन करने माता के मंदिरों में भी जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको मां लक्ष्मी के एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप में से शायद ही कोई जानता होगा। 
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हम बात कर रहे हैं आन्ध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में तिरुपति बालाजी मंदिर से थोड़ी ही दूर पर स्थित भगवान वैंकटेश्वर की महाशक्ति माता पद्मावती के भव्य मंदिर के बारे में। तिरुचुरा नामक एक छोटे से गांव में अत्यंत दयालु माता पद्मावती का अति सुंदर मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि इसी मंदिर में बने तालाब में खिले कमल के फूल से ही माता लक्ष्मी ने इस रूप में जन्म लिया था। ऐसा भी कहते हैं कि प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि यानि दीपावली के दिन भगवान नारायण इस जगह उपहार भेजते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामना देवी पद्मावती पूरी कर देती हैं। 
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इस मंत्र से की जाती है देवी पद्मावती की वंदना 
ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहनी। 
सर्व कार्य करनी, मम विकट संकट हरणी।। 
मम मनोरथ पूरणी, मम चिंता चूरणी नमों। 
ॐ ॐ पद्मावती नम स्वाहा:।।

मंदिर के तालाब में खिले कमल के पुष्प से देवी पद्मामती के रूप में माता लक्ष्मी ने जन्म लिया था। जोकि भगवान श्री हरि के रूप भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी कही जाती हैं। पद्मावत मंदिर में आने वाले भक्तों की आस्था है कि माता पद्मावती की शरण में जाने से सभी तरह पापों से मुक्ति मिल जाती है। यहां जो भी अपने मन की इच्छा को लेर आता है, उनकी सभी मनोकामनाओं को देवी पद्मावती पूर्ण कर देती हैं। 
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देवी पद्मावती का जन्म कमल के फूल और मंदिर के तालाब में से होने के कारण वहीं तालाब एक कुंड रूप में परिवर्तित हो गया है। यह पद्मावती मंदिर तिरुपति से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में देवी पद्मावती कमल पुष्प के आसन पर पद्मासन मुद्रा में बैठी हुई है जिसके दोनों हाथों में कमल पुष्प सुशोभित हो रहे हैं। इस पद्मावती मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, भगवान बलराम, सुंदरराज स्वामी और सूर्य-नारायण स्वामी की मनमोहक प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर के उपर एक वृहद ध्वज लहराते रहता है जिसके उपर देवी पद्मावती के वाहन एक हाथी की छवि बनी हुई है। दीपावली के दिन भगवान वेंकटेश्वर देवी पद्मावती के लिए उपहार भेजते हैं, यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है।


 


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