समाजसेवी नरेश कुमार ऐरन ने दिल्ली के सावदा गांव में की गुरुकुल की स्थापना

punjabkesari.in Tuesday, Oct 22, 2024 - 10:30 AM (IST)

टीम डिजिटल। आज के समय में युवा पीढ़ी वेदों और शास्त्रों के ज्ञान से दूर होती जा रही है। गायब होती इस प्राचीन शिक्षा पद्धति को जीवित करने के लिए एक समाजसेवी ने बीड़ा उठाया है। युवा पीढ़ी को वेदों और शास्त्रों के ज्ञान में पारंगत करने के लिए दिल्ली के मुंडका इलाके के सावदा गांव में समाजसेवी नरेश कुमार ऐरन द्वारा एक गुरुकुल की स्थापना की गई है। महाराजा अग्रसेन वैदिक गुरुकुलम नाम से संचालित गुरुकुल पांचवी क्लास से लेकर 12वीं कक्षा तक बच्चों को वेदों और शास्त्रों के ज्ञान से रूबरू कर रहा है। 

नरेश कुमार ने बताया कि काफी समय से मन में युवा पीढ़ी के लिए कुछ ऐसा करने की इच्छा थी कि उसका संदेश दूर तक जाए और आने वाली पीढ़ियों को भी उसका लाभ मिले। कुछ सहयोगियों ने सलाह दी कि अगर हम वेदों शास्त्रों के ज्ञान से युवा पीढ़ी को प्रशिक्षित और पारंगत करने के लिए गुरुकुल शुरू कर दें तो वह बहुत ही पुण्य का कार्य होगा। साथ ही इससे हमारी सनातन संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा। आधुनिक युग में युवा पीढ़ी पाश्चात्य सभ्यता की ओर अग्रसर हो रही है। हमारे वेदों शास्त्रों उपनिषदों और पुराणों में किस तरह के ज्ञान विज्ञान की बात की गई है इससे युवा पीढ़ी दूर होती जा रही है। अगर युवा पीढ़ी को इन वेदों पुराणों के ज्ञान की ओर उन्मुख (Oriented) नहीं किया गया तो हमारी संस्कृति खतरे में पड़ सकती है। इसलिए हमने साल 2022 के बाद जब कोरोना काल खत्म हुआ तो गुरुकुल की शुरुआत की। अभी गुरुकुल में 50 से ज्यादा बच्चे वेदों शास्त्रों व पुराणों का अध्ययन कर रहे हैं। इस गुरुकुल में कोई भी बच्चा निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकता है। गुरुकुल को उज्जैन के एक विश्वविद्यालय से संबद्ध किया गया है।

बच्चों को 12वीं तक की पढ़ाई के सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं, जिससे कि उन्हें आगे की पढ़ाई करने में कोई समस्या ना आए। इसके साथ ही बच्चों का सारा खर्च भी हमारे ट्रस्ट द्वारा ही वहन किया जाता है। गुरुकुल को ट्रस्टी मिलकर चला रहे हैं। गुरुकुल को चलाने में मुख्य भूमिका नरेश कुमार ऐरन जी की है। बाकी और लोग भी थोड़ा-थोड़ा सहयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि गुरुकुल में जो शिक्षक शास्त्र वेदों और पुराणों की छात्रों को शिक्षा देते हैं वह काफी प्रशिक्षित और पारंगत हैं। गुरुकुल में बच्चों को पीले वस्त्र धारण कराए जाते हैं। साथ ही बच्चों की दिनचर्या भी निश्चित होती है। बच्चों को सुबह-शाम आरती, पूजा पाठ के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है। साथ ही उन्हें श्लोक और मंत्रोच्चार भी कराए जाते हैं।

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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