Smile please: किशोरों को भटकने से बचाना है तो उनमें करवाएं सतयुगी आत्मा का प्रवेश

punjabkesari.in Tuesday, Aug 23, 2022 - 10:40 AM (IST)

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Smile please: जीवन के सभी चरणों में सबसे साहसी और दिलचस्प चरण किशोरावस्था का है, जिसमें अनेकानेक भावनात्मक उथल-पुथल एवं अपने अतीत से जुड़े रहने की ख्वाहिश और आने वाले भविष्य के सपनों में खो जाने की समान रूप से शक्तिशाली इच्छा की भी अनुभूति होती है। 

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इसमें न केवल शारीरिक, अपितु नैतिक, संज्ञानात्मक, भावनात्मक और बौद्धिक रूप से तीव्र विकास होता है इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि जीवन के इस चरण में माता-पिता, घर के बड़े एवं मित्र-संबंधी किशोरों को उचित मार्गदर्शन एवं सहायता प्रदान करें और उनके सर्वांगीण विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाएं।

आज विश्वभर के युवा ‘जैनरेशन गैप’ नामक एक ऐसी सामाजिक समस्या से जूझ रहे हैं जिसका इलाज फिलहाल किसी के पास नहीं है। देखा गया है कि किशोरों के बारे में जो आम धारणा समाज में बनी है, वे उससे विपरीत ही कुछ करते आ रहे हैं। 
आज हर युवा का प्राथमिक लक्ष्य है पूर्ण स्वतंत्रता हासिल करना, जिसके लिए वे अक्सर काफी स्पेस चाहते हैं। वे अपनी ही विचारधारा एवं तर्क के आधार पर चलना पसंद करते हैं और इस प्रक्रिया में अक्सर दबंग व विद्रोही बन जाते हैं। 

यह समझना अति आवश्यक है कि किशोरों की समस्याओं को समझने और उनका निवारण करते समय हमें खुद को उनके स्थान पर रखना होगा और उनकी मन:स्थिति को समझ कर बड़ी कोमलता से उन्हें अपनी बात समझानी होगी, उनका विश्वास जीतना होगा। दुर्भाग्यपूर्ण है कि किशोरावस्था के प्रारंभिक चरण में जब बच्चों को दिशा व मार्गदर्शन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तभी उनको इसे प्राप्त करने का कोई स्रोत नहीं मिलता। 

इसके पीछे का कारण यह है कि आज माता-पिता के पास शायद ही अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए समय है। शैक्षणिक संस्थानों में भी मूल्यपरक शिक्षा देने और युवाओं के चरित्र को मजबूत बनाने की बजाय पेशेवर कौशल अध्यापन पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। मीडिया द्वारा प्रस्तुत ग्लैमर और चमक-दमक से बहक कर युवा अपने आदर्शों और जीवन की वास्तविकता का सामना करने में निरंतर संघर्ष का अनुभव करता रहता है और दुर्भाग्य से कई किशोर उचित मार्गदर्शन के अभाव में अपराध, शोषण और मादक पदार्थों की लत के रास्ते पर चल पड़ते हैं।

हम जानते हैं कि परिवार, शैक्षणिक संस्थानों एवं सामाजिक समूहों की किशोरों का मार्गदर्शन और समर्थन करने में प्रमुख भूमिका है, किन्तु इन सभी से भी बेहतर परिणाम ‘आध्यात्मिकता’ अपना कर मिल सकता है, क्योंकि इससे किशोरों में एक मजबूत चरित्र का निर्माण किया जा सकता है, जिससे उन्हें एक स्पष्ट पहचान मिलती है और ‘आइडैंटिटी क्राईसिस’ के असमंजस से वे बखूबी आजाद हो जाते हैं। 

मूल्य आधारित जीवनशैली के लिए आध्यात्मिकता व्यक्ति को शक्ति प्रदान करती है और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करती है। वह व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ नैतिक, मानसिक और भावनात्मक रूपी संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करती है। 
 
याद रखें ! यदि किशोरों को उनकी कोमल आयु में ही आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित किया जाए तो वे जीवन की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए उत्कृष्ट शक्तियों से सुसज्जित हो जाएंगे और एक गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने में सफल होंगे।    

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Content Writer

Niyati Bhandari

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