Inspirational Story: आप भी रख सकते हैं अपने पाप और पुण्य का हिसाब, पढ़ें प्रेरणात्मक कथा

punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2024 - 12:37 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Story: बरसों पहले जयगढ़ नामक राज्य था। इसके राजा जय सिंह थे। अपने सरल और सीधे स्वभाव के कारण वह राज्य की जनता को प्रिय थे। एक दिन दोपहर में वह मंत्री के साथ बैठे बात कर रहे थे कि पहरेदार आया और हाथ जोड़कर बोला, ‘‘एक बाबा आपसे मिलना चाहते हैं।’’

PunjabKesari Inspirational Story

जय सिंह बोले, ‘‘उन्हें यहां ले आओ।’’

पहरेदार चला गया और जल्दी ही बाबा को लेकर आ गया। दिखने में वह तपस्वी जैसे लग रहे थे। जय सिंह और मंत्री ने उनके चरण छुए। हंसते हुए वह बोले, ‘‘खूब फलो-फूलो। थोड़े समय के लिए तुम्हें कष्ट देना चाहता हूं। मेरे रहने और भोजन-पानी की व्यवस्था करवा दो।’’

जय सिंह ने मंत्री को आदेश देकर महल के पीछे एक कुटिया बनवाने को कहा। दो-तीन दिन में कुटिया तैयार हो गई। भोजन-पानी जय सिंह ने महल से भेजने को कहा। बाबा बोले, ‘‘राजन! पूजन-हवन सामग्री और दो घड़े मंगवा दो।’’

जय सिंह ने यह सब सामान मंगवाया और बाबा को दे दिया। बाबा रोज सुबह नहा-धोकर ध्यान करते और शाम को हवन किया करते।
कभी-कभी जय सिंह भी मंत्री के साथ कुटिया में चले जाते। बाबा ने दोनों घड़े एक ओर रखे थे। जय सिंह पूछना तो चाहते थे पर पूछ नहीं पाते थे। एक दिन शाम के समय जय सिंह और उनके मंत्री कुटिया में पहुंचे। बाबा हवन करने में लगे थे। जय सिंह के इशारा करने पर मंत्री घड़े के पास पहुंचे। उन्होंने देखा एक घड़े में बहुत सारे सूखे फूल हैं और एक घड़े में दो-तीन ही फूल हैं। उन्होंने आकर जय सिंह को सारी बात बतलाई।

PunjabKesari Inspirational Story

बाबा जब हवन कर चुके तो जय सिंह ने घड़े में पड़े फूलों के बारे में जानना चाहा तो बाबा हंस दिए और उन्हें साथ लेकर घड़ों के पास जा पहुंचे। अधिक फूलों वाला घड़ा दिखा कर बोले, ‘‘यह पाप का घड़ा है।’’ और दूसरा घड़ा दिखाकर बोले, ‘‘यह पुण्य का घड़ा है।’’
जय सिंह बोले, ‘‘बाबा मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।’’

बाबा हंसते हुए बोले, ‘‘राजन, हम मनुष्य हैं किसी न किसी बहाने से हमसे रोज कोई न कोई पाप तो हो ही जाता है पर हम समझ नहीं पाते और इन्हीं के बीच कभी-कभार कोई पुण्य का काम भी हो जाता है। मैंने ये घड़े इसलिए रखे हैं कि पाप और पुण्य का हिसाब तो मालूम हो सके।’’

‘‘तुम देख रहे हो पाप के घड़े में ढेरों फूल हैं और पुण्य के घड़े में दो-चार ही हैं। बस इन्हीं को देखते हुए चाहता हूं कि मुझसे पुण्य ही पुण्य हो, पाप अगर हो भी तो भगवान माफ कर दें।’’

जय सिंह बोले, ‘‘बाबा! आपने इतनी अच्छी बात बतलाई है कि मैं भी राज दरबार में दो घड़े रखवाऊंगा और रोज शाम दरबार खत्म होने पर घड़े में एक पर्ची जरूर डालूंगा।’’

बाबा बोले, ‘‘यह तो बहुत अच्छा होगा। बस ध्यान रखना कि पाप का घड़ा न भर पाए, पुण्य का घड़ा भरता रहे।’’

PunjabKesari Inspirational Story


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News