Skanda Sashti: निसंतान और संतान की सलामती की इच्छा रखने वाले पढ़ें ये आरती
punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2023 - 10:34 AM (IST)
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Skand Shashthi : स्कंद षष्ठी का त्यौहार हर माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार आज 20 सितंबर को ये व्रत रखा जा रहा है। इस दिन देवों के देव महादेव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कुमार कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इसे संतान षष्ठी या स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से न सिर्फ निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है बल्कि संतान के जीवन में चल रही परेशानियां को भी इस व्रत से दूर किया जा सकता है। संतान की बीमारियों को दूर करने के लिए ये व्रत बहुत कारगार साबित होता है। स्कंद षष्ठी का यह पर्व दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है लेकिन इसके पीछे की वजह शायद ही कुछ लोगों को पता है। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं दक्षिण भारत का भगवान कार्तिकेय के साथ संबंध।
Dakshin se bhagwan skand ka sambandh: दक्षिण से भगवान स्कंद का संबंध:
वैसे तो ये पर्व पूरे भारत में बहुत ही आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है लेकिन खास तौर पर दक्षिण भारत में इसकी धूम देखने को मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान स्कन्द किसी कारण से माता पार्वती और पिता भगवान शिव से रुष्ट होकर कैलाश पर्वत से मल्लिकार्जुन चले गए थे। ये जगह दक्षिण में है, इस वजह से यहां ये त्यौहार अधित उत्साह से मनाया जाता है।
Importance of Skanda Shashthi स्कंद षष्ठी का महत्व:
स्कंदपुराण के अनुसार नारद-नारायण संवाद में भी स्कंद षष्ठी व्रत का उल्लेख किया गया है। ये व्रत संतान के जीवन से सारी परेशानियों को दूर कर देता है और आने वाले संकट भी कोसों दूर चले जाते हैं। इसी के साथ बता दें कि संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।
Read this aarti पढ़ें ये आरती: कोई भी पूजा-पाठ और व्रत बिना आरती के सम्पूर्ण नहीं माना जाता है। पढ़ें स्कंद जी की आरती
भगवान कार्तिकेय की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय ||