Sita Navami 2020: मां सीता से सीखें संघर्ष और त्याग की सही परिभाषा

punjabkesari.in Saturday, May 02, 2020 - 12:48 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज यानि वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि शनिवार 02 मई को सीता नवमी का पर्व मनाया जा रहा है। यूं तो प्रत्येक वर्ष इस त्यौहार के दिन हिंदू धर्म के मंदिरों आदि में काफ़ी भीड़ दिखाई देती है। चूंकि इस समय देश में कोरोना महामारी का आंतक फैला हुआ है, सरकार द्वारा पूरे देश में लॉकडाउन जारी है, कारण वश लोग मंदिर आदि में जाकर देवी सीता की विधि वत पूजा-अर्चना नहीं कर पाए। इसीलिए हम अपनी वेबसाइट के माध्यम से आप तक हर संभव जानकारी पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज हम लाएं हैं देवी सीता से जुड़े ऐसी जानकारी जिसमें न केवल आप सीता मां के सीता द्वारा किए संघर्ष के बारे में पता चलेगा बल्कि आपको बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा। चलिए जानते हैं-
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जैसे कि सब जानते हैं कि श्री राम और देवी सीता के विवाह के कुछ ही समय उपरांत श्री राम को 14 वर्षों का वनवास मिल गया। देवी सीता ने अपना पत्नी धर्म निभाया और अपने पति श्री राम संग वनवास पर चली गई जिस दौरान रावण द्वारा मां सीता का अपहरण कर लिया।

कथाओं के अनुसार जब प्रभु श्री राम ने रावण का वध करके माता सीता को उसकी चगुंल से छुड़ाया तो मां सीता को अग्नि परिक्षा से गुजरना पड़ा।

कहा जाता है उनके जीवन में आने वाली परीक्षाओं का यहां अंत नहीं हुआ। बल्कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में अधिकतर समय कठीन परिस्थितियां क सामना करते बिताया परंतु उन्होंने ने कभी हार नहीं मानी, हमेशा डट कर उनका सामना किया। इन्होंने ने एक मिसाल कायम की, कि किसी भी व्यक्ति को कभी जीवन में हार नहीं माननी चाहिए। आज हम आपको बताने वाले हैं इन्हीं के व्यक्तित्व और गुणों के बारे में जिससे हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है।  
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आइए जानें-
जैसे कि उपरोक्त हमने आपको बताया कि वनवास केवल प्रभु श्री राम को मिला था किंतु मां सीता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए महलों का सुख त्याग दिया और भगवान श्री राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया और हर पल उनका साथ दिया।

कथाओं के अनुसार रावण ने अपहरण कर मां सीता को अशोक वाटिका में रख था, जहां रावण ने माता सीता को हर तरह से अपनी बात मनवाने की कोशिश की। परंतु मां सीता ने रावण को डटकर सामना किया तथा अपने स्वामी श्री राम पर भरोसा रखा कि वो उन्हें रावण के बंधन से छुड़ाने ज़रूर आएंगे।

कथाओं के मुताबिक जब हनुमान जी मां सीता के पास पहुंचे और उन्हें राम जी की अंगुठी दी तब मां सीता का विश्वास और बढ़ गया कि श्री राम जी जल्दी आएंगे और उन्हें यहां से ले जाएंगे।  
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इन सभी बातों से यही सीख मिलती है कि हर करह के परिस्थिति में धीरज नहीं खोना चाहिए।
 


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Jyoti

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