देश के मुख्य तीर्थों में शामिल है ये इस मंदिर, का नाम, जहां होता है केवल माता का श्राद्ध

punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2020 - 07:25 PM (IST)

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जब भी किसी धार्मिक स्थलों की बात होती है तो सबसे पहले नाम शायद भारत का ही आता है, क्योंकि यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं। जिस कारण यहां अधिकतर मात्रा में तीर्थ स्थल व मंदिर आदि हैं। इन्हीं में से एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे भारत में स्थित मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक कहा जाता है। और यहां की सबसे खास बात तो ये है कि यहां सनातन धर्म में अधिक महत्व रखने वाले पितृ पक्ष के दौरान केवल एक ही श्राद्ध संपन्न किया जाता है। जी हां, लोक मान्यता है इस तीर्थ स्थल में केवल माता का श्राद्ध संपन्न किया जाता है। 
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सनातन धर्म में किए जाने वाले 16 संस्कारों में से एक श्राद्ध कर्म-कांड है। अपने जन्म से लेकर अपने मृत्यु तक प्रत्येक व्यक्ति के लिए इन सभी संस्कारों को संपन्न करना पड़ता है। बल्कि कहा जाता प्रत्येक जातक 16 संस्कार गर्भधारण से शुरू होता है औक अंत में मरने के बाद अंतिम संस्कार से होता है। तो कहा ये भी जाता है कि धार्मिक मान्यताएं हैं कि मृत्यु के बाद भी व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही कारण है कि कहा जाता है कि प्रत्येक इंसान को अपनी पूर्वजों के प्रति आदरभाव रखना चाहिए।

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इन्हीं सभी मान्यताओं के चलते हमारे देश में ऐसे कई तीर्थ आदि स्थापित हैं, जहां लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कर्म कांड करते हैं। इन्हें में से एक पितृ तीर्थ देश के गुजरात राज्य, सिद्धपुर नामक स्थान पर बिंदु सरोवर तट पर बनाया गया है, जिससे से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार यहां पर केवल माता की श्राद्ध या मातृश्राद्ध करने का विधान है। 

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कहा जाता है कि ऋग्वेद की ऋचांओं में भी गुजरात के सिद्धपुर का वर्णन किया गया है। बता दें ये बिंदु सरोवर गुजरात के अहमदाबाद से करीब 130 कि.मी. उत्तर दिशा में स्थित है। जिसका उल्लेख सनातन धर्म के सबसे प्रमुख ग्रंथ रामायण और महाभारत में भी मिलता है। 
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इससे जुड़ी कथाओं के अनुसार सिद्धपुर के बिंदु सरोवर तट पर सबरे पहले कपिल मुनि ने अपनी माता का श्राद्ध किया था। सांख्य दर्शन के प्रणेता और भगवान विष्णु के अवतार के नाम से जाने, जाने वाले कपिल मुनि का आश्रम सरस्वती नदी के तट पर बिंदु सरोवर पर था। इसी बिंदु सरोवर के तट पर कपिल मुनि ने अपनी माता के मोक्ष की प्राप्ति के लिए कार्तिक महीने में अनुष्ठान किया था। यहां के एक अन्य लोक मत के अनुसार भगवान परशुराम ने भी अपनी माता का श्राद्ध बिंदु सरोवर के तट पर किया था। जिस कारण आज के समय में इस बिंदु सरोवर को मुख्य रूप से मातृ मोक्ष स्थल के नाम से जाना जाता है। 
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Jyoti

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