शुक्रनीतिः इन चीज़ों को कभी न रोकें वरना...

punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 10:24 AM (IST)

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शुक्राचार्य एक महान ज्ञानी तो थे ही लेकिन इसके साथ-साथ वह एक महान नीतिकार भी थे। इस बात को तो सब जानते ही होंगे कि वह दैत्यों के गुरु के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने बहुत सी ऐसी नीतियों की रचना की, जोकि व्यक्ति के जीवन के साथ जुड़ी हुई हैं। ऋषि शुक्राचार्य ने दैत्यों को ज्ञान और तप का रास्ता दिखाया। सही और गलत की जानकारी देना भी इनका कार्य था। इनकी बनाई नीतियां आज भी काम की है। उनकी हर नीति में व्यक्ति के लिए ज्ञान की बात छुपी हुई होती है। आज हम आपको उन 6 चीज़ों के बारे में बताएंगे, जिन्हें काबू में करना बेकार होगा।  

श्लोकः
यौवनं जीवितं चित्तं छाया लक्ष्मीश्र्च स्वामिता।
चंचलानि षडेतानि ज्ञात्वा धर्मरतो भवेत्।। 

अर्थ - यौवन, जीवन, मन, छाया, लक्ष्मी और सत्ता ये छह चीजें बहुत चंचल होती हैं, इसे समझ लेना चाहिए और धर्म के कार्यों में लगे रहना चाहिए।
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आज के समय में हर इंसान यही चाहता है कि उसकी जवानी हमेशा बनी रहे। उसके रंग-रूप में कभी कोई कमी न आए। लेकिन इंसान इस चीज़ को भूल जाता है कि बदलाव प्रकृति का नियम है। समय बीतने के साथ-साथ इंसान तो क्या चीज़ों में भी बदलाव आ जाता है। तो ऐसे ही एक समय आने पर व्यक्ति की जवानी यानि कि उसकी युवावस्था चली जाती है और उसकी जगह बूढ़ापा आ जाता है। इस चीज़ की इंसान कितनी भी कोशिश कर लें, जवानी तो ढ़लनी ही है। 

जन्म और मृत्यु मनुष्य जीवन के अभिन्न अंग है। जिसका जन्म हुआ है, उनकी मृत्यु निश्चित ही है। कोई भी मनुष्य चाहे कितने ही पूजा-पाठ कर ले या दवाइयों का सहारा ले, लेकिन एक समय के बाद उसकी मृत्यु होनी ही है।

हर इंसान का मन बहुत ही चंचल होता है। लाख कोशिशों के बावजूद व्यक्ति अपने मन पर काबू नहीं कर पाता है। इसलिए ये कहावत कही जाती है कि मन के जीते जीत मन के हारे हार। 
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मनुष्य की परछाई उसका साथ सिर्फ तब तक देती है, जब तक वह धूप में चलता है। अंधकार आते ही मनुष्य की छाया भी उसका साथ छोड़ देती है।

मन की तरह ही धन का भी स्वभाव बड़ा ही चंचल होता है। वह हर समय किसी एक जगह पर या किसी एक के पास नहीं टिकता। इसलिए धन से मोह बांधना ठीक नहीं होता। व्यक्ति को हमेशा यही चाहिए कि वह धन के लिए कोई काम न करे और उसे कभी भी काबू में करने की कोशिश भी न करें। 
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कई लोगों को पॉवर यानि सत्ता या अधिकार पाने का शौक होता है। वे लोग चाहते हैं कि उन्हें मिला पद या अधिकार पूरे जीवन उन्हीं के साथ रहें, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है। जिस तरह परिवर्तन प्रकृति का नियम है, उसी तरह पद और अधिकारों का परिवर्तन भी होता रहता है।


 


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