श्रीरामचरितमानसः इन चौपाईयों के जाप से दूर होगी आपकी हर समस्या

punjabkesari.in Thursday, Oct 03, 2019 - 11:16 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हर व्यक्ति की लाइफ में कई बार ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं जिनमें से मिकलना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। संकट के समय में जब कोई रास्ता नहीं दिखता है तो अंत में हम कठिन परिस्थितियों से बहार निकलने के लिए हर इंसान भगवान को याद करता है। इसी के साथ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप अपनी समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं। हिंदू धर्म में वैसे तो बहुत से ऐसे ग्रंथ शामिल हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने सकंटों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन आज हम बात करेंगे रामचरित मानस की, जिनकी चौपाईयों के जाप से व्यक्ति तमाम दुखों से छुट सकता है। विजयदशमी के पावन पर्व पर रामचरितमानस की तमाम चौपाईयों में से किसी एक को श्रद्धापूर्वक जपने से प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है और हर परेशानी से मुक्ति मिलती है। 
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नियम
श्रीरामचरित मानस के दोहे-चौपाईयों को सिद्ध करने के लिए विजयादशमी के दिन स्नाम-ध्यान करने के पश्चात् अष्टांग हवन के द्वारा सिद्ध करना चाहिए। इसके पश्चात् जिस कार्य के लिए मानस का दिव्य मन्त्र आप सिद्ध कर रहें हों, उसके लिए नित्य एक माला जप अवश्य करें।

श्रीरामचरितमानस के सिद्ध मंत्र
यात्रा की सफलता के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।

संपत्ति की प्राप्ति के लिए
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।

किसी भी संकट को दूर करने के लिए
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।

मुकदमा जीतने के लिए
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।

परस्पर प्रेम बढ़ाने के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
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शीघ्र विवाह के लिए
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।  साज सँवारि कै।।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि लई हंकारि कै।।

रोजगार पाने के लिए
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥

परीक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥

पुत्र प्राप्ति के लिए
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।  
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।

आलस्य से मुक्ति पाने के लिए
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।
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सभी मनोरथ को पूरा करने के लिए
भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसिरारि।।


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