यह है वो पवित्र स्थली, जहां धरती में समाई थी सीता मैय्या

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 11:43 AM (IST)

उत्तरी भारत के पंजाब राज्य में अमृतसर से 11 कि.मी दूर अमृतसर-चौगावा रोड पर प्राचीन व ऐतिहासिक धार्मिक स्थल ‘श्री राम तीर्थ मंदिर’ स्थित है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। न केवल इस मंदिर का, अपितु इस पावन स्थली का भी इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यहां महर्षि वाल्मीकि का आश्रम और एक कुटिया स्थित है। ऐसी मान्यता है कि जब श्री राम ने माता सीता का परित्याग कर दिया था तत्पश्चात ऋषि वाल्मीकि ने उन्हें इसी स्थान पर अपने आश्रम में आश्रय दिया था। तब माता सीता ने यहां इस कुटिया में ही निवास किया था, इसी कारण इस स्थान को माता सीता की आश्रयी स्थल भी कहा जाता है। यहीं पर श्री राम के पुत्रों लव और कुश ने जन्म लिया था। 


महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना भी यहीं की थी। यहां आश्रम में उन्होंने लव और कुश को शस्त्र शिक्षा भी दी थी। जब श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा था, तब इसी स्थान पर लव-कुश ने उस घोड़े को पकड़ा था और अपने पिता श्री राम के साथ युद्ध किया था। इस मंदिर के समीप ही एक सरोवर है, जिसे बहुत पावन माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर को हनुमान जी ने खोदकर बनाया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सीता धरती की गोद में समा गई थी। दूर-दूर से श्रद्धालु और साधु-संत यहां स्नान करते हैं और अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं। सरोवर के चारों ओर 30 फुट चौड़ा पथ बना हुआ है, सरोवर में स्नान करने के पश्चात भक्त इस सरोवर की परिक्रमा करते हैं। यहां एक प्राचीन बावली भी है, माना जाता है कि सीता माता यहां स्नान किया करती थीं। इसे ‘माता सीता दी बावली’ कहा जाता है। इस बावली में स्नान कर निःसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं।


 


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