भाई-बहन नही जाते इस मंदिर में आखिर क्या है कारण क्यों, जानिए पूरी खबर
punjabkesari.in Thursday, Sep 01, 2022 - 04:30 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार जिले के अंतर्गत कसडोल के समीप महानदी के तट पर स्थित नारायणपुर नामक ग्राम में प्राचीन शिव मंदिर का अधिक महत्व माना जाता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता कहा जाता है कि यहां भाई और बहन एक साथ नहीं जा सकते। बता दें यहां प्रमुख आकर्षण का केंद्र भव्य प्राचीन शिव मंदिर है। आसपास के बड़े बुजुर्गों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण रात के समय किया गया जो लगभग 6 मास तक लगातार चला था। इस मंदिर के निर्माणकर्ता प्रधान शिल्पी का नाम ग्रामीण नारायण बताते हैं, जो जनजाति समुदाय का था। कहा जाता है कि इसी के नाम पर इस गांव का नामकरण किया गया था।
निर्वस्त्र होकर कर रहा था मंदिर का निर्माण कार्य
जानकारी के मुताबिक अनुसार प्रधान शिल्पी नारायण रात के समय पूर्णत: निर्वस्त्र होकर मंदिर निर्माण का कार्य करते थे, उनकी पत्नी भोजन लेकर निर्माण स्थल पर आती थी। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जब मंदिर का शिखर निर्माण का समय आ गया था, तब एक दिन किसी कारणवश उसकी पत्नी की जगह उसकी बहन भोजन लेकर आ गई। जिसे देखकर नारायण का सिर शर्म से झूक गया और उसने मंदिर के कंगूरे से नीचे कूदकर अपनी जान दे दी।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
भाई बहन एक-साथ नहीं जाते मंदिर
गांव में प्रचलित किंवदंति के अनुसार मंदिर के प्रधान शिल्पी नारायण और उनकी बहन की घटना के कारण इस प्राचीन मंदिर में पूजन और दर्शन के लिए भाई-बहन एक साथ नहीं जाते। भाई-बहन का एक साथ नहीं जाने का प्रमुख कारण दीवारों पर उकेरी गई मैथुन मूर्तियों को भी माना जाता है।इस नगर की प्राचीनता यहां के मंदिरों में स्पष्ट देखी जा सकती है। इसके अलावा यहां एक शिव मंदिर स्थित है जो अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगो कि माने तों इस मंदिर का निर्माण कलचुरी कालीन राजा के द्वारा 7 वीं से 8वीं शताब्दी के बीच करवाया था।
मंदिर कि कारीगरी काफी उन्नत है। यह पूर्वाभिमुखी शिवमंदिर है जिसका निर्माण लाल और काले बलुवा पत्थरों के इस्तेमाल से किया गया है। पत्थरों को तराश कर बेहतरीन से बेहतरीन प्रतिमा को उसमे उकेरा गया है। जो उस समय कि उन्नत कारीगरी को बयां करती है।