Sheetala Ashtami Katha: सुंदर काया देती हैं मां शीतला, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 07:12 AM (IST)

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Sheetala Ashtami Katha: शीतला सप्तमी-अष्टमी पर मां शीतला की पूजा, मंत्र जाप, बासी खाने का भोग और कथा पढ़ने अथवा सुनने से मौसमी रोगों के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को पुरानी से पुरानी बीमारियों से निजात मिलती है। इस दिन माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाने की परंपरा है, घर में ताजा खाना नहीं पकाया जाता। इस व्रत को लेकर यह माना जाता है कि इसका निर्वाहन से बच्चों को चेचक, खसरा और आंखों की बीमारी परेशान नहीं करती है।

Sheetala Ashtami Katha

Sheetla mata ki katha माता शीतला की कथा- पौराणिक मान्यता के अनुसार माता शीतला जी की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा जी से ही हुई थी। ब्रह्मा जी ने माता शीतला को धरती पर पूजे जाने के लिए भेजा था। देवलोक से धरती पर मां शीतला अपने साथ भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर को अपना साथी मानकर लाईं। तब उनके पास दाल के दाने भी थे। उस समय के राजा विराट ने माता शीतला को अपने राज्य में रहने के लिए कोई स्थान नहीं दिया तो माता शीतला क्रोधित हो गईं।

Sheetla mata ki katha
उसी क्रोध की ज्वाला से राजा की प्रजा के शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आए और लोग उस गर्मी से संतप्त हो गए। राजा को अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने माता शीतला से माफी मांग कर उन्हें उचित स्थान दिया। लोगों ने माता शीतला के क्रोध को शांत करने के लिए ठंडा दूध एवं कच्ची लस्सी उन पर चढ़ाई और माता शांत हुईं। तब से हर साल शीतला अष्टमी पर लोग मां का आशीर्वाद पाने के लिए ठंडे बासी भोजन का प्रसाद मां को चढ़ाने लगे और व्रत करने लगे।

Sheetla mata ki katha
वैसे तो फाल्गुन मास की पूर्णिमा एवं फाल्गुन मास की संक्रांति से ही लोग नियम से प्रात: माता शीतला पर लस्सी चढ़ाना शुरू कर देते हैं तथा पूरा महीना माता शीतला की पूजा करते हैं परंतु जिन्होंने अब तक शीतला माता का पूजन किसी कारणवश नहीं किया है वे शीतला अष्टमी का व्रत करके अथवा मां पर कच्ची लस्सी चढ़ा कर मां की कृपा के पात्र बन सकते हैं।

Sheetala Ashtami Katha


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Content Writer

Niyati Bhandari

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