Sheetala Ashtami 2024: कब है शीतला अष्टमी ? जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

punjabkesari.in Sunday, Mar 31, 2024 - 11:23 AM (IST)

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Sheetala Ashtami 2024: पंचांग के अनुसार, होली से आठवें दिन शीतला अष्टमी व्रत किया जाता है। इस व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि के साथ होती है। हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस अवसर पर पूजा और व्रत करने से रोग से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। हिंदु मान्यता के अनुसार इस दिन चूल्हा नहीं जलाया जाता है, बल्कि चूल्हे की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से ज्वर, नेत्र विकार, चेचक जैसे रोगो से छुटकारा मिलता है। व्रत रखने से शीतला मां खुश हो जाती हैं और खुशियों का वरदान देती हैं। आज जानेंगे शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त और ये बताएंगे इस दिन चूल्हा क्यों नहीं जलाया जाता है। 

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Shitala Ashtami Tithi शीतला अष्टमी तिथि:
पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 1 अप्रैल को रात 9 बजकर 9 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 2 अप्रैल को रात 8 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले पूजा की जा सकती है और पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। बता दें कि शीतला माता का पूजन सप्तमी तिथि के दिन भी किया जाता है और इसे शीतला सप्तमी कहते हैं। 

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मां शीतला को प्रसन्न कैसे करें: 
इस दिन प्रात: काल उठकर पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। साफ-सुथरे नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा करने के लिए दो थाली सजाएं।
एक थाली में दही, रोटी, पुआ, बाजरा, नमक पारे, मठरी और सप्तमी के दिन बने मीठे चावल रखें।
दूसरी थाली में आटे का दीपक बनाकर रखें।
रोली, वस्त्र अक्षत, सिक्का और मेहंदी रखें और ठंडे पानी से भरा लोटा रखें।
घर के मंदिर में शीतला माता की पूजा करके बिना दीपक जलाए रख दें और थाली में रखा भोग चढ़ाए।
नीम के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
इससे मां शीतला प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देती हैं।

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Why is stale food offered to Mother Sheetla माता शीतला को क्यों चढ़ता है बासी भोग ?
इस दिन चूल्हा नहीं जलने के कारण बासी खाना खाया जाता है। यह ऋतु का अंतिम दिन होता है। इसके बाद बासा खाना नहीं खाया जाता। मान्यताओं के अनुसार माता शीतला रोगों को दूर करने वाली हैं और इस व्रत में परिवार के लिए भोजन पहले दिन ही बनाया जाता है और इस दिन बासी भोजन कहते हैं। कहा जाता है शीतला सप्तमी पर व्रती को प्रात: काल शीतल जल से स्नान करना चाहिए और उसके बाद विधि-विधान से मां शीतला की पूजा करनी चाहिए। शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलता है। सप्तमी तिथि के दिन ही सारा भोजन बनाकर तैयार कर लिया जाता है और फिर दूसरे दिन घर की महिलाएं सुबह जल्दी उठकर शीतला माता की पूजा करती हैं। इसके बाद मां को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और घर के सभी सदस्य भी बासी भोजन ही खाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार, शीतला माता की पूजा के दिन ताजे खाने का सेवन और गर्म पानी से स्नान वर्जित है।

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Content Editor

Prachi Sharma

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