जानिए, कहां हैं देश का यह इकलौता मंदिर, जहां पत्नी संग विराजमान हैं शनिदेव
punjabkesari.in Saturday, Mar 26, 2022 - 04:54 PM (IST)

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देश के अलग-अलग हिस्से में शनिदेव के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर मौजूद है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शनि मंदिर के बारे में बताने वाले है जो बाकि मंदिरो से अलग है। जी हां, छत्तीसगढ़ में एक ऐसा शनि मंदिर हैं जहां शनि देव अपनी पत्नी के साथ विराजित हैं। एक तरफ जहां शनि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है वहीं ये एक अनोखा मंदिर है।
आपको बता दें कि शनि देव का ये मंदिर छत्तीसगढ़ के एक जिले कवर्धा में स्थित है। जहां भोरमदेव मार्ग से 15 किलोमीटर दूर एक गांव छपरी स्थित है। जहां से 500 किलोमीटर दूर मड़वा महल है। जहां से टेढ़े - मेढ़े पथरीले रास्तों को पार करते हुए गावं करियाआमा आता है, जहां ये मंदिर स्थित है। इस मंदिर में शनि देव अपनी पत्नी स्वामिनी के साथ पूजे जाते है। मिली जानकारी के अनुसार यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां शनि देव और उनकी पत्नी की प्रतिमाएं एक साथ विराजमान हैं।
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यहां के पुरोहित के मुताबिक वे काफी लंबे समय से भगवान शनिदेव की पूजा करने के लिए करियाआमा जाते रहे हैं। लगातार तेल डालने की वजह से प्रतिमा पर धूल-मिट्टी की काफी मोटी परत जम चुकी थी। एक दिन इस प्रतिमा को साफ किया गया तो वहीं शनिदेव के साथ उनकी पत्नी देवी स्वामिनी की भी प्रतिमा मिली। आपको बता दें कि इस मंदिर को देश का एकमात्र सपत्नीक शनिदेवालय का दर्जा मिला है, बाकी स्थानों पर शनिदेव की अकेली प्रतिमा ही स्थापित हैं। यह शनि मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पति-पत्नी दोनों एक साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक अपनी इच्छा लेकर आते है वो खाली हाथ नहीं जाते है उनकी हर मनोकामना पूरी करते है शनि देव धर्म ग्रंथो के अनुशार बताया जाता है की इस मंदिर की स्थापना पांडवो ने करवाया था। ऐसी मान्यता है की जब पांडव को बनवास काल मिला था।
आसपास के लोगों ने बताया कि यहां साथ पूजा करने से पति-पत्नी के रिश्ते में कोई बाधा नहीं आती। उनका शादीशुदा जीवन सरलता से चलता है। जाता जबकि देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिरों में से एक शनि शिंगणापुर में भी पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। हालांकि, अब वहां महिलाओं को भी पूजा करने का अधिकार मिल गया है।इस शनि देव के मंदिर के साथ एक और मान्यता जुडी हुई है, मान्यता प्रचलित है की जो भी पति पत्नी अगर एक साथ इस मंदिर में आकर दोनों श्रद्धा पूर्वक अपनी माथा टेकते है और सरसो का तेल चढ़ाते है तो ऐसा करने से पति और पत्नी दोनों का जीवन धन्य हो जाता है और उनका जीवन सुखमय हो जाता है। साथ है यहाँ पर अगर कोई भी ब्यक्ति सरसो का तेल चढ़ा कर अपना माता शनि देव के चरणों में टेकता है तो उनके जीवन से साढ़े शाति की महादशा से मुक्ति मिल जाती है।